उत्तराखंड

श्रीनगर के अलकनंदा स्टोन क्रशर के संचालन पर लगी रोक जारी

इसके अलावा प्रसिद्ध गौरा देवी और राज राजेश्वरी मंदिरों के अस्तित्व को भी खतरा हो गया है। इसलिए स्टोन क्रशर पर रोक लगाई जाए।

मामले में अब अगले साल होगी सुनवाई
नैनीताल। श्रीनगर गढ़वाल के कांडा रामपुर में लगाए जा रहे अलकनंदा स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने स्टोन क्रशर पर लगाई रोक को आगे बढ़ा दी है। ऐसे में अगले आदेशों तक यह रोक जारी रहेगी। अब पूरे मामले में कोर्ट 6 जनवरी 2025 को सुनवाई करेगा।
दरअसल, पौड़ी जिले के फरासु निवासी नरेंद्र सिंह सैंधवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि कांडा रामपुर में मानकों के विपरीत स्टोन क्रशर लगाया गया है, जिसकी वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। स्टोन क्रशर की वजह परंपरागत पेयजल स्रोत नष्ट हो रहे हैं। इसके अलावा प्रसिद्ध गौरा देवी और राज राजेश्वरी मंदिरों के अस्तित्व को भी खतरा हो गया है। इसलिए स्टोन क्रशर पर रोक लगाई जाए।
इससे पहले सर्वाेच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने सभी राज्यों को आदेश देकर कहा था कि राज्य के मुख्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण और न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दें, लेकिन राज्य सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नियमावली के विरुद्ध जाकर यहां स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे दी। यहां पर स्टोन क्रशर लगाने से क्षेत्र के लोगों और पर्यावरण को काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए इस स्टोन क्रशर पर रोक लगाई जाए।

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