बठिंडा। अब ड्राइवरों ने भी अपनी राजनीति पार्टी बना ली है और अपने मुद्दों को खुद लोकसभा में उठाने के मकसद को लेकर चुनाव मैदान में ड्राइवर उतर गए हैं। ड्राइवरों का कहना है कि लोकसभा में हर वर्ग के नुमांइदें पहुंचते हैं लेकिन ड्राइवर आज तक नहीं पहुंचा।
देश के ड्राइवरों ने बनाई जन सेवा ड्राइवर पार्टी
इसलिए हमने फैसला किया है कि अपने मामलों के समाधान के लिए हमारी आवाज बुलंद करने के लिए हम ड्राइवरों को ही मैदान में उतरना होगा। देश के ड्राइवरों द्वारा मिलकर जन सेवा ड्राइवर पार्टी (जेडीपी) का गठन किया है।
जेडीपी पंजाब और गुजरात में लड़ेगी चुनाव
जेडीपी के प्रदेश प्रधान इंद्रजीत सिंह उप्पल ने कहा कि ड्राइवरों के मामलों को आज तक किसी भी सांसद ने संसद में नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से परेशान होकर हमको अपनी पार्टी बनानी पड़ी है। इस बार जेडीपी पंजाब व गुजरात में चुनाव लड़ेगी।
जीडीपी में चार से पांच फीसद हमारा हिस्सा- ड्राइवर्स
करीब 80-90 करोड़ रुपये ड्राइवरों को हर साल रिश्वत देनी पड़ती है। इसके अलावा देश भर के ड्राइवर हर साल 3200 करोड़ से भी ज्यादा का टैक्स भरते हैं। जीडीपी में चार से पांच फीसद हमारा हिस्सा है। कहने को तो हमें देश की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है।
लेकिन किसी भी पार्टी ने आज तक किसी भी ड्राइवर को टिकट नहीं दी। जबकि हर वर्ग के लोग संसद में पहुंचते हैं। लेकिन ड्राइवरों को हमेशा अनदेखा किया गया। हमें तो किसी पार्टी ने आज तक विधानसभा की टिकट नहीं दी। लोक सभा तो दूर की बात है।