देश-विदेश

सतलुज में बहे किसान का 11 दिन बाद भी नहीं लगा सुराग, पाक पहुंचने की आशंका; परिवार वालों ने छोड़ी उम्‍मीद

आशंका है कि किसान बहकर पाकिस्तान की सीमा में चला गया होगा क्योंकि सतलुज दरिया का बहाव वहां पर भारत से पाकिस्तान की तरफ है। अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर होने के कारण बीएसएफ के गोताखोर एक सीमा तक ही सतलुज दरिया में किसान की खोज कर सकते हैं।

ममदोट। सरहद पर रहने का दर्द क्या है कोई किसान अमरीक सिंह के परिजनों से पूछ सकता है।  सतलुज में 11 दिन पहले बहे किसान का पता नहीं चला है।

मृत मानकर परिजनों सब्र तो कर लिया लेकिन कैसी बिडंबना है कि जवान बेटा अपने पिता की अर्थी को कंधा भी नहीं दे पाएगा। ममदोट में बॉर्डर पर बीएसएफ की तेलूमल पोस्ट के गेट नंबर 195 के निकट सतलुज दरिया में खेत से लौटते समय बह गया था।

सतलुज दरिया में बहकर पाकिस्‍तान पहुंचा किसान

आशंका है कि किसान बहकर पाकिस्तान की सीमा में चला गया होगा, क्योंकि सतलुज दरिया का बहाव वहां पर भारत से पाकिस्तान की तरफ है। अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर होने के कारण बीएसएफ के गोताखोर एक सीमा तक ही सतलुज दरिया में किसान की खोज कर सकते हैं। उधर परिजनों ने 51 साल के किसान अमरीक को मृत मानकर भोग डाल दिया। मृत किसान सहकारी बैंक का 13 लाख रुपये का कर्जदार था।

11 दिन बाद भी नहीं मिली कोई सूचना

दुर्भाग्य इस बात का है कि इन 11 दिनों में किसान का पता चलना तो शुरू सरकार का कोई प्रतिनिधि भी किसान परिवार का पता लेने नहीं पहुंचा है, तीन भाइयों के संयुक्त परिवार में अमरीक सिंह ही कमाने वाला एक मात्र सदस्य था। दो भाई गूंगे बहरे हैं, उनकी भले ही शादी नहीं हुई है, लेकिन उनका खर्चा भी अमरीक सिंह उठाया था। खुद अमरीक सिंह की पत्नी शादी योग्य एक बेटी व बेटा हरजिंदर सिंह है।

18 साल के बेटे पर टिकी परिवार की उम्‍मीद

हरजिंदर सिंह ने इलेक्ट्रीकल ट्रेड में पॉलीटेक्निक डिप्लोमा हासिल करने के बाद इस साल बड़ी उम्मीद के साथ फिरोजपुर के गुरुनानक कॉलेज में बीए में एडमीशन लिया था। बड़ी बहन पहले ही बीए दूसरे साल की विद्यार्थी है। पिता के नदी में बह जाने के बाद अब परिवार की पूरी उम्मीद 18 साल के हरजिंदर सिंह पर टिकी है।

हालातों को देख वह अब पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं, क्योंकि पिता व ताया के हिस्से की तीन एकड़ खेती से परिवार के पालने की उसकी जिम्मेदारी 18 साल के बेटे पर ही आ गई है। बहन की शादी भी करनी है, उसकी पढ़ाई का खर्चा भी उठाना है।

परिवार वालों ने लगाई राजनीतिक दलों से गुहार

हैरानी की बात है कि लोकसभा चुनाव के लिए जब मैदान सज चुका है, हर पार्टी के नेता बड़े बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन किसान अमरीक सिंह के परिवार की जो हालत है कि उसके आगे हर पार्टी के नेताओं के दावे, वादे बेमानी साबित हो रहे हैं। अभी तक किसान के घर में सिर्फ एक विधायक का निजी सचिव पहुंचा था, परिवार को ये आश्वासन देकर वापस लौट गया कि उनकी मदद करेंगे, लेकिन विधायक खुद किसान के परिवार का दुख जानने के लिए समय नहीं निकाल पाए हैं अभी तक। हरजिंदर सिंह का कहना है कि सरकार से सहायता मिलना तो दूर प्रशासन का कोई प्रतिनिधि तक उनके परिवार का हाल जानने नहीं पहुंचा है।

सतलुज में बहे किसान अमरीक सिंह के इकलौते बेटे हरजिंदर सिंह ने बताया कि सरकार कुछ नहीं कर सकती है तो कम से कम उसके पिता का कर्जा ही माफ कर दे, ऐसा हुआ तो वह किसी तरह दिन रात मेहनत करके परिवार का पालन कर लेगा, लेकिन बैंक ने अगर उनसे कर्जा मांगा तो पूरा परिवार ही खत्म हो जाएगा। खेती के अलावा आमदनी का कोई दूसरा साधन परिवार के पास नहीं है।

2 अप्रैल को बह गया था गुरमेज सिंह

किसान गुरमेज सिंह उस समय 2 अप्रैल को सतलुज में बह गया था जब वह कंटीले तारों की बाड़ के दूसरी तरफ अपने खेत में काम करके वापस दूसरे किसानों के साथ लौट रहा था। गांव वापस आने के लिए सतलुज दरिया एक रस्से के सहारे पार करनी होती है।

शाम को खेत से लौटते समय बहाव तेज होने के कारण रस्सा किसान अमरीक सिंह के हाथों से छूट गया था, जिसके चलते वह सतलुज दरिया के तेज बहाव में बह गया था। समय शाम को पांच बजे का था। छह बजे बीएसएफ अपना गेट बंद कर दिया है, जिस कारण पहले दिन सिर्फ एक घंटे ही किसान की तलाश हो सकी थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button