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हिमालयन राज्य प्राकृतिक दैवीय आपदाओं के लिए लिहाज से खतरनाकः रिजिजु

कोटद्वार पहुंचे भारत सरकार के केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री

कोटद्वार पहुंचे भारत सरकार के केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री
लैंसडाउन में किया डॉप्लर रडार का लोकार्पण
कोटद्वार। भारत सरकार के केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू आज कोटद्वार पहुंचे। किरेन रिजिजू के कोटद्वार पहुंचने पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। कोटद्वार पहुंचने के बाद किरेन रिजिजू ने बताया लैंसडाउन कैंट बोर्ड में डॉप्लर रडार का शुभारंभ किया जाना है। उन्होंने कहा उत्तराखंड हिमालयन राज्य होने से प्राकृतिक दैवीय आपदाओं के लिए लिहाज से खतरनाक जोन है। लैंसडाउन में डॉप्लर रडार लगने से प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं की सटीक जानकारी मौसम विभाग को मिल सकेगी।
लैंसडाउन में डॉप्लर रडार लगने के बाद प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी मिलने से मौसम विज्ञान विभाग प्राकृतिक आपदाओं से निजात मिल सकेगी। लैंसडाउन में सैन्य छावनी होने से डॉप्लर रडार लगने से सेना को भी मदद मिलेगी। लैंसडाउन पहुंचकर किरेन रिजिजू ने मौसम विभाग विभाग के विशेषज्ञ टीम के साथ डॉप्लर रडार का मुआयना किया। जिसके बाद जनपद पौड़ी के लैंसडाउन कैंट क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने डॉप्लर रडार का लोकार्पण किया।
बता दें उत्तराखंड में लगातार बादल फटने भूस्खलन व अत्याधिक वर्षा होने से प्राकृतिक घटनाओं में इजाफा हुआ है। बीते वर्ष कोटद्वार, यमकेश्वर लैंसडाउन तहसीलों में भीषण आपदा देखने को मिली। आपदा में यमकेश्वर कोटद्वार विधानसभा में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। उत्तराखंड के लैंसडाउन में लगने वाला यह तीसरा रडार है।

उत्तराखंड में लगेंगे पांच छोटे रडार
देहरादून। उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं लोगों पर कहर ढाती रही हैं। खासतौर पर मानसून सीजन के दौरान तो ऐसी घटनाएं हर साल राज्य को खासा नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में राज्य सरकार भी इन खतरों को देखते हुए खुद को इसके लिए तैयार कर रही है। छोटे रडार स्थापित किए जाने के मामले में राज्य सरकार कुछ सुस्त मोड में नजर आ रही है। बेहद जरूरी होने के बावजूद मौसम विभाग का छोटे रडार लगाने का प्रस्ताव अब तक शासन में अंतिम मंजूरी नहीं पा सका है। प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी अपना अहम रोल निभाती है। मौसम विभाग भी इसी टेक्नोलॉजी के जरिए उन तमाम मौसमीय घटनाओं की भविष्यवाणी करता है। ये टेक्नोलॉजी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान इंसानी जिंदगियों के लिए अहम योगदान निभाती है। फिलहाल, उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए फूल प्रूफ प्लान की जरूरत है। इसके लिए मौसम विभाग को ऐसे छोटे डॉप्लर रडार चाहिए जो उन क्षेत्रों को भी कवर कर सके, जहां बड़े डॉप्लर रडार की पहुंच नहीं है। इसके लिए मौसम विभाग की तरफ से राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के साथ हुई बैठक के दौरान प्रस्ताव रखा गया था। जिसमें राज्य भर में करीब पांच छोटे डॉप्लर रडार की जरूरत को महसूस किया गया। डॉप्लर रडार के प्रस्ताव पर अब तक सरकार की तरफ से कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। इसीलिए इन्हें जल्द स्थापित किया जा सकेगा। इसकी भी संभावना कम नजर आ रही है। राज्य में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां छोटे डॉप्लर रडार के जरिए सटीक मौसम की जानकारी दी जा सकती है। यह वह क्षेत्र हैं जहां तक बड़े डॉप्लर रडार की पहुंच नहीं बन पा रही है।

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