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निजी चिकित्सालयों से कम न रहे अपने जनमन के सरकारी अस्पतालः डीएम

डीएम ने जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू के लिए 6 अतिरिक्त बैड, एक्सरेमशीन; फोटोथेरेपी उपकरण की मौके पर ही स्वीकृति दी।

मुख्यमत्री के संकल्प से प्रेरित डीएम जिले की स्वास्थ्य सेवाओ के सुधार हेतु प्रतिबद्ध
चिकित्सालय को डिफिलिलेटर; जनरेटर, उपकरण, मैनपॉवर रखने की स्वीकृति

देहरादून। जिलाधिकारी सविन बसंल की अध्यक्षता में आज ऋषिपर्णा सभागार कलेक्ट्रेट में चिकित्सा प्रबन्धन समिति राजकीय जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन) संचालन मण्डल की त्रैमासिक बैठक आयोजित की गई। बैठक में चिकित्सालय के सभी प्रस्तावों को स्वीकृत्ति प्रदान की गई। जिलाधिकारी ने अधिकारियों के निर्देशित किया किया सरकारी चिकित्सालयों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी है ताकि जनमानस को महंगे इलाज हेतु निजी अस्पतालों के चक्कर न लगाने पढ़े। इसके लिए जिलाधिकारी ने चिकित्सालय द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों पर स्वीकृति देते हुए। अन्य आवश्यकता की जानकारी भी ली।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री की अपेक्षा अनुरूप अपने  जनमन के सरकारी अस्पताल निजी चिकित्सालयों से कम न रहे । उन्होंने कहा कि  मा० मुख्यमत्री के संकल्प  स्वास्थ्य सेवाओ के सुधार हेतु जिला  प्रशासन प्रतिबद्ध है। डीएम ने जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू के लिए 6 अतिरिक्त बैड, एक्सरेमशीन; फोटोथेरेपी उपकरण की मौके पर ही स्वीकृति दी। वहीं चिकित्सालय में ऑटोमेटेड पार्किंग; महिला हिलांस कैंटीन, ब्लड बैंक से डॉक्टर्स, स्टॉफ, जनमन गदगद हैं।
जिलाधिकारी ने जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू के लिए अतिरिक्त बैड बढ़ाने, एक्सरेमशीन एवं ऐसेसरिज, फोटोथेरेपी  उपकरण, डिफिलिलेटर जनरेटर, मैनपॉवर, चिकित्सालय में सुरक्षा के दृष्टिगत भूतपूर्व सैनिक गार्ड रखने की भी स्वीकृति प्रदान की जिलाधिकारी ने चिकित्सालय पुरानी टीनशेड जिसका पार्किंग के लिए उपयोग किया जा रहा है को हटकार नई अटोमेटेड पार्किंग संभावना के दृष्टिगत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने पूर्व बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि लेड अप्रोन स्टैण्ड, अल्ट्रासाउंड जैली, पेशेंट एक्सामिलेशन कोच का कार्य, एक्सरे, सीटी स्कैन मशीन, व्हीलचेयर, चिकित्सक यूनिफार्म, एक्सामिनेशन टेबल, ड्रेसिंग ड्रम, सर्जिकल उपकरण, बेडसीट, एडल्ट सेकशन मशीन, एसी, बैबी रेडियट वार्मर, एन्डोस्कोपी सिस्टम कैमरा अदि सामग्री का कय किया जा चुका है। जिलाधिकारी ने एसएनसीयू में 286 बच्चे भर्ती हुए है जिनमें 287 डिस्चार्ज किए गए तथा 21 बच्चें रेफर किए गए रेफर का कारण जाने पर चिक्तिसकों ने सुविधा की कमी होना बताया जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल सभी सुविधाओं के प्रस्तावित करने के निर्देश दिए।
राज्य का पहला आधुनिक दिव्यांग पुनर्वास अपने जिला चिकित्सालय के गांधी शताब्दी में जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को गांधी शताब्दी चिकित्सालय में बनाए जा रहे दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र डीडीआरसी का निरीक्षण करने के निर्देश दिए।  जिलाधिकारी स्वयं ब्लड बैंक निर्माण कार्यों की  प्रगति एवं डीडीआरसी का निरीक्षण करेंगे। डीडीआरसी में दिव्यांग नागरिकों के लिए अब प्रमाण पत्र बनवाने से लेकर फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक सलाह और कृत्रिम अंग प्राप्त करने तक की सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी। राज्य का पहला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र जिले के गांधी शताब्दी चिकित्सालय में बनाया जा रहा है। यह केंद्र दिव्यांगजनों को न सिर्फ प्रमाणन, बल्कि कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र, उपकरण वितरण, फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक परामर्श जैसी सभी सेवाएं एक ही छत के नीचे देगा। इससे दिव्यांगजनों को असुविधा होती थी, जिसे देखते हुए अब सभी सेवाओं को एक स्थान पर लाने का निर्णय लिया गया है। केंद्र में पंजीकरण के बाद दिव्यांगजनों को चिकित्सकीय, सामाजिक, शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर उचित परामर्श और सेवाएं प्रदान की जाती हैं। केन्द्र से दिव्यांगजन हेतु सहायक उपकरण व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, श्रवण यंत्र आदि भी वितरण के साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर किया जाता है और स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाता है। केंद्र विशेष शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराता है ताकि दिव्यांगजन शिक्षा या रोजगार के अवसरों से वंचित न रहें। समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रचार-प्रसार गतिविधियां चलाई जाती हैं, जिससे दिव्यांगजनों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। इसके अतिरिक्त, उन्हें सरकारी योजनाओं जैसे यूडीआईडी कार्ड, पेंशन, छात्रवृत्ति आदि से भी जोड़ा जाता है। केंद्र की विशेषता इसकी बहु-विषयी (मल्टी-डिसिप्लिनरी) टीम होती है जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट और काउंसलर जैसे विशेषज्ञ सम्मिलित होते हैं, जो दिव्यांगजनों के लिए समग्र पुनर्वास सुनिश्चित करते हैं।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, प्रभारी अधिकारी स्वास्थ्य विभाग उप जिलाधिकारी हरिगिरि, सीएमएस डॉ मन्नु जैन, डॉ जेपी नौटियाल, मुख्य कोषाधिकारी नीतू भंडारी, डॉ शालिनी डिमरी, डॉ नीतू तोमर, प्रमोद कुमार राजीव सब्बरवाल, इन्दू शर्मा, सुशिला पंवार, राजेश आरती आदि उपस्थित थे।

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