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ठेकों की अलॉटमेंट को सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट ने बदला हाई कोर्ट का फैसला, शराब के ठेकों से स्टे हटी

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में 3 अप्रैल तक शराब के ठेकों को बंद रखने और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट में चंडीगढ़ यूटी में शराब ठेकों की अलॉटमेंट को लेकर शुक्रवार को होने वाली सुनवाई सोमवार के लिए टाल दी गई। हाई कोर्ट ने आदेश जारी कर चंडीगढ़ में तीन दिन तक शराब ठेकों को बंद रखने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया। यह रोक शराब के ठेकों की टेंडर प्रक्रिया को लेकर दायर की गई याचिकाओं के चलते लगाई गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने ठेके बंद करने का कोई स्पष्ट आधार नहीं बताया, जिसके चलते यह स्टे हटाया जाता है। बता दें पहली अप्रैल को हर साल चंडीगढ़ में नए ठेकेदारों को शराब के ठेके अलॉट किए जाते हैं। इस बार ठेकों की अलॉटमेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया। कई व्यापारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि चंडीगढ़ में 97 में से 91 ठेके एक ही गु्रप को दे दिए गए हैं। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में 3 अप्रैल तक शराब के ठेकों को बंद रखने और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। मामले की अगली सुनवाई चार अप्रैल को तय की गई थी जिसके बाद आगे का फैसला लिया जाना था।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण थी। नीति के तहत किसी भी व्यक्तिए फर्म या कंपनी को 10 से अधिक दुकानें हासिल करने की अनुमति नहीं थी, ताकि एकाधिकार को रोका जा सके। लेकिन प्रशासन ने इस नियम को नजरअंदाज कर कुछ व्यक्तियों को अपने परिवारए सहयोगियों और कर्मचारियों के माध्यम से दुकानें हासिल करने दीए जिससे शराब व्यापार पर उनका असामान्य नियंत्रण हो गया। याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि पूरी टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी और इसे निष्पक्ष तरीके से आयोजित नहीं किया गया। आबकारी नीति का मूल उद्देश्य शराब की दुकानों का उचित वितरण सुनिश्चित करना और किसी एक समूह का प्रभुत्व रोकना था, लेकिन इस टेंडर प्रक्रिया में गड़बडिय़ां साफ नजर आईं।

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