कानपुर देहात। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रिश्ते निभाना जानते थे, भले वह ऊंचे पदों पर रहे, लेकिन हमेशा जमीन से जुड़कर ही रहना पसंद किया। वर्ष 1995 के मई में चुनावी कार्यक्रम के व्यस्त समय के बीच वह गहलों रूरा गांव में अपनी बुआ इंद्रवासिनी से मिलने पहुंच गए थे।
बुआ ने जमकर प्यार उन पर लुटाया था और प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था। इसके बाद रूरा विद्यालय में चुनावी जनसभा में खराब सड़क की हालत पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा था कि यहां सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क समझ नहीं आता है…। आज भी रूरा के लोगों को वह जनसभा अच्छे से याद है।
बुआ से था बेहद लगाव
अटलजी की बुआ इंद्रवासिनी का विवाह रूरा के गहलों गांव निवासी गंगा नारायण मिश्रा के साथ हुआ था। उन्हें कोई संतान नहीं थी। गंगा नारायण का शादी के कुछ वर्ष बाद ही निधन हो गया था ऐसे में एकाकी जीवन से बचने के लिए उन्होंने अपने भांजे मनमोहन शुक्ला को गोद ले लिया था।
स्व. मनमोहन के बेटे श्यामू शुक्ला बताते हैं कि उस समय रूरा से गहलों गांव जाने का मार्ग बेहद खराब था और सड़क पर जगह-जगह गड्ढे थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अपनी बुआ से बहुत लगाव था। उन्होंने यहां के भाजपा नेताओं से कहा कि वह बुआ के गांव जरूर जाएंगे।
खराब सड़क पर उठाए सवाल
इसके बाद वह बुआ के घर पहुंच गए तो बुआ ने प्यार से ‘अटलू’ कहकर उनको गले से लगा लिया। अटलजी उनको प्यार से लालू नाम से बुलाया करते थे। लोग माला लेकर पहुंचे तो बुआ व भतीजे ने एक दूसरे को माला पहनाकर अपनत्व भी दिखाया। अटलजी ने बुआ से कुशलक्षेम पूछा कि सब बढ़िया है कोई समस्या तो नहीं तो उन्होंने नहीं में जवाब दिया।
इसके बाद साड़ी के पल्लू में बांधकर रखे रुपये को उनकी बुआ ने निकालकर अटलजी को सौंपा तो वह मना करने लगे पर बुआ की जिद के आगे उनकी न चली और आशीर्वाद के रूप में वह रुपये रखने पड़े। इसके बाद रूरा के विद्यालय में उन्होंने जनसभा की थी, जहां पर खराब सड़क को लेकर सवाल उठाए थे साथ ही उन्होंने देश व समाज सेवा का आह्वान किया था।