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संत रविदास सामाजिक समरसता व मानवतावादी मूल्यों के पुरोधा थेः धामी

उन्होंने समाज में फैली बुराइयों तथा कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संत रविदास की जयंती पर सीएम ने दी श्रद्धांजलि, प्रतिमा पर किया माल्यार्पण

हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज हरिद्वार दौरे पर रहे। दौरे के दौरान उन्होंने सबसे पहले शिरोमणि सतगुरु श्री रविदास महाराज की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको नमन किया। इस दौरान सीएम धामी ने लोगों से मुलाकात की भी। साथ ही कहा कि आज का दिन ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव को मिटाकर जीवन में सबको साथ लेकर चलने के लिए संकल्प करने का दिन है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज का दिन सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को दूर कर आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानने का दिन है। संत रविदास जी सामाजिक समरसता और सद्भाव के मानवतावादी मूल्यों के पुरोधा थे। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों तथा कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत का इतिहास रहा है, जब भी देश को जरूरत हुई है, कोई न कोई संत या ऋषि भारत में जन्म लेते हैं। संत रविदास जी उस भक्ति आंदोलन के महान संत थे, जिन्होंने कमजोर और विभाजित हो चुके भारत को नई ऊर्जा दी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि रविदास जी ने समाज को आजादी का महत्व भी बताया और सामाजिक विभाजन को भी पाटने का काम किया। संत रविदास जी ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहां किसी भी प्रकार का लोभ, लालच, दुख, दरिद्रता, भेदभाव नहीं हो। उनके बताए रास्तों पर चलते हुए हम सुखी जीवन के सूत्र सीख सकते हैं। महान संत गुरु रविदास जी के संदेशों को अपनाकर ही आज का भारत और उत्तराखंड विकास पथ पर तेजी से अग्रसर है। संत रविदास जी सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक हैं, इसलिए उनके संकल्प को ही ध्येय मानकर हम उत्तराखंड के सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में बसे गरीबों, वंचितों और पिछड़ों की सेवा हेतु प्रयासरत हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली डबल इंजन की सरकार श्संत शिरोमणि रविदास जीश् के बताए मार्ग पर चलकर दलित-शोषित-पिछड़ों व वंचितों के कल्याण के लिए कृतसंकल्पित है। मुझे याद है कि संत रविदास जी ने कहा था कि ’ऐसा चाहूं राज मैं, मिले सबन को अन्न छोट-बड़ो सब सम बसे, रविदास जी रहे प्रसन्न। अर्थातरू मैं, एक ऐसा राज चाहता हूं, जिसमें सभी को अन्न मिले कोई भूखा न रहे, हर कोई एक समान, समरस होकर रहे।

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