चिकित्सकों ने लोगों को दी एहतियात बरतने की सलाह
देहरादून। उत्तराखंड में मौसमीय बदलाव ना केवल सर्द हवाओं के साथ लोगों की कंपकंपी छुड़ा रहा है, बल्कि उन्हें बीमार भी कर रहा है। राज्य में तीन शहरों के प्रदूषण को लेकर सामने आए आंकड़े नई चिंता को जन्म दे रहे हैं। उधर चिकित्सकों ने भी इस मौसम में प्रदूषण बढ़ने के साथ लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। ये हालात इस बार बदले हुए मौसम की स्थिति के कारण बने हैं।जिनसे राहत मिलने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
उत्तराखंड में जनवरी का तीसरा हफ्ता गुजरने के बाद भी अब तक ना तो प्रदेश भर में कहीं अच्छी बारिश मिल पाई हैं और ना ही ऊंचे स्थानों पर कहीं भारी बर्फबारी हो पाई है। इन हालातों के चलते राज्यभर में सुखी ठंड लोगों की मुसीबत बढ़ा रही है। खासतौर पर मैदानी जिलों में आसमान में बादल और आसपास फैले कोहरे ने सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया है। लेकिन इस सबके बीच सबसे ज्यादा दिक्कतें बुजुर्ग और बच्चों को आ रही है। मैदानी जिलों में एक तरफ कम तापमान लोगों की कंपकंपी छुड़ा रहा है तो बदले मौसम के कारण वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर भी परेशानियों में इजाफा कर रहा है।
राज्य में बारिश और बर्फबारी का इंतजार हो रहा है, इस बीच उत्तराखंड के तीन शहरों में कोहरे के बीच वायु प्रदूषण का स्तर चिंता को बढ़ा रहा है। देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) और पीएम 10 का स्तर सामान्य से काफी ज्यादा हो गया है। इसे खराब स्थिति में माना जाता है। इन तीनों ही शहरों में एम 2.5 और एम 10 की क्या स्थिति है आपको बताते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर से बढ़ा वायु प्रदूषण
देहरादून। पार्टिकुलेट मैटर के जरिए वायुमंडल में धूल मिट्टी के कणों की स्थिति को जाना जाता है। इस तरह साफ है कि वायुमंडल में धूल मिट्टी समेत दूसरे कणों की काफी ज्यादा अधिकता है और बारिश ना हो पाने के कारण यह कारण लगातार वायुमंडल में बने हुए हैं। जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधित तमाम दिक्कतें आने की संभावना है। दरअसल बारिश न होने के कारण मैदानी क्षेत्रों में यह कारण हवा में बने रहते हैं और सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जबकि यदि बारिश समय पर होती है तो इससे यह कारण सभी बारिश के साथ जमीन में आ जाते हैं और इससे वायुमंडल में प्रदूषण भी कम हो जाता है।
विशेषज्ञ दे रहे सावधानी बरतने की सलाह
देहरादून। जिस तरह बारिश नहीं होने के कारण इसका असर पर्यावरण पर हो रहा है उसे इंसानों की भी दिक्कतें बढ़ गई है। वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी के कारण सबसे ज्यादा दिक्कतें बच्चों, बुजुर्गों के साथ ही उन लोगों को आनी तय है जो सांस के मरीज हैं। जाहिर है कि बच्चे और बुजुर्गों को मौजूदा मौसम के लिए हाथ से घर से बाहर निकलने में कुछ परहेज करना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों को दमा या सांस की बीमारी है उनके लिए भी यह मौसम बेहद परेशानी भरा है। चिकित्सक भी ऐसे लोगों को विशेष एहतियात बरतने की सलाह देते हैं। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल सुपरीटेंडेंट अनुराग अग्रवाल भी इस बात को कहते हुए नजर आते हैं और अनुराग अग्रवाल बताते हैं कि सर्दियों में धूल मिट्टी और प्रदूषण के कारण वायुमंडल में ज्यादा समय तक बने रहते हैं, इसके कारण लोगों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।