बदायूं। भाजपा सांसद डा.संघमित्रा मौर्य का टिकट कट चुका है। कुछ दिनों पहले तक वह टिकट को लेकर आश्वस्त दिख रही थीं, लेकिन होली की पूर्व संध्या पर उनकी जगह क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य पर भाजपा ने दांव खेल दिया है।उन्होंने यह कहकर चर्चाओं को विराम दिया है कि वह पार्टी के निर्णय के साथ हैं। पार्टी हाईकमान से जो भी निर्देश मिलेगा उसका पालन करेंगी।
बदायूं से किया था जीत का सूखा खत्म
पिछले 2019 के चुनाव में संघमित्रा मौर्य ने 1996 से बदायूं में चल रहा भाजपा की जीत का सूखा खत्म किया था। उन्होंने सपा के धर्मेंद्र यादव का हैट्रिक लगाने का सपना तोड़ा था। इसके पीछे उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का बड़ा योगदान रहा, उस समय वह भाजपा थे और जिले के प्रभारी मंत्री का दायित्व भी संभाल रहे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण से असंतुष्ट होकर उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था।
विधानसभा चुनाव में पिता के साथ थीं संघमित्रा
सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने संघमित्रा के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर मतगणना पर सवाल उठाए थे। स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में पहुंच जाने के बाद उन्होंने अपना रिट वापस ले लिया था। विधानसभा चुनाव के दौरान जब स्वामी प्रसाद सपा के टिकट पर कुशीनगर से चुनाव लड़ रहे थे तब संघमित्रा भी उनके समर्थन में पहुंची थीं। पार्टी के नेताओं पर सवाल भी खड़े किए थे।
हालांकि भाजपा ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की, पूरा कार्यकाल सकुशल पूर्ण किया। इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य सपा भी छोड़ चुके हैं, सनातन संस्कृति को लेकर उनके बयानों पर भाजपा मुखर हुई थी। संघमित्रा का टिकट कटने का एक कारण यह भी माना जा रहा है।
बहरहाल, डा.संघमित्रा मौर्य का कहना है कि वह पार्टी के निर्णय के साथ हैं। वह भाजपा में बनी रहेंगी, दो दिन में वह बदायूं आएंगी और चुनाव प्रचार भी करेंगी। पार्टी की ओर से कोई निर्देश मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी पार्टी की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है, जो भी निर्देश मिलेगा उसका पूरी ईमानदारी से पालन करेंगी।
पिता के रुख से तय होगा बेटी का भविष्य
लोकसभा चुनाव की गतिविधियां तेज होती जा रही हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य सपा से अलग होकर नई पार्टी तो बना चुके हैं, लेकिन चुनाव में उनका क्या रुख रहेगा इस पर उनकी बेटी संघमित्रा का भी राजनीतिक भविष्य तय होगा। वह भले ही सपा से अलग हो गए हैं, लेकिन सपा नेताओं का रुख उनके प्रति नरम दिख रहा है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि संघमित्रा से भी सपा के कुछ नेताओं ने संपर्क साधा है, लेकिन इसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य के पत्ते खोलने पर ही तस्वीर साफ हो सकेगी।