उत्तराखंड

कलश वाली कांवड को शिवभक्त कर रहे पसंद

आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी कि देश उधार और जुगाड़ पर चलता है।

कलश वाली कांवड को शिवभक्त कर रहे पसंद
हरिद्वार। आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी कि देश उधार और जुगाड़ पर चलता है। आज भी उधार और जुगाड़ की कोई कमी नहीं है। ऐसा ही कुछ इन दिनों कांवड़ मेले के दौरान देखने को मिल रहा है। यहां गंगा जल भरने कांवड़िए हरिद्वार आ रहे हैं। जो ज्यादातर कलश वाली कांवड़ लेकर आ रहे हैं। इसे जुगाड़ कर तैयार किया जाता है।
बता दें कि कलश वाली कांवड़ तैयार करने के लिए कुछ सामान की जरूरत होती है। इनमें कलश, बांस का डंडा और रस्सी। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण चीज चाहिए होती है, जिसे एम सील कहा जाता है। जिससे गंगा जल भरने के बाद कलश को सील किया जाता है। कांवड़ यात्रा के दौरान बाकी दिनों में बाजार में आसानी से मिलने वाली एम सील के दाम भी बढ़ जाते हैं।
जो एम सील आम दिनों में दुकानों पर 10 रुपये की मिल जाया करती थी, वो हरकी पैड़ी क्षेत्र में 15 रुपये में बेची जाती है। उसके बावजूद भी इसे कांवड़िए इसे खुश होकर लेते हैं। इसके अलावा इस कांवड़ में उपयोग होने वाली रस्सी की बात करें, तो वो 10 रुपये से लेकर 20 रुपये तक की जोड़ी मिलती है। जबकि, कलश 400 रुपये से लेकर शुरू होता है। इन्हीं चीजों को जोड़कर कलश कांवड़ तैयार की जाती है।
कलश वाली कांवड़ को कलश के साथ बनाया जाता है। इसे एक बांस के डंडे में बांधा जाता है। उसमें कलश की संख्या के अनुसार गंगा जल भरा जाता है। दो कलश का मतलब होता है कि 40 लीटर गंगा जल भरा है। क्योंकि, आमतौर पर एक कलश 20 लीटर का होता है। शिव भक्त कांवड़िया अपनी इच्छा अनुसार इस कलश की संख्या बढ़ा लेते हैं और यह 200 लीटर तक भी पहुंच जाता है। अमूमन देखा गया है कि शिव भक्त कांवड़िए कलश कांवड़ ज्यादा उठा लेते हैं। पिछले कुछ सालों में अन्य कांवड़ों के मुकाबले कलश वाली कांवड़ को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

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