उत्तराखंडदेहरादून

मेले ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा, कौशल व उद्यमिता का एक अनूठा प्रयासः धामी

इसके साथ ही सीएम ने 10 अन्य सीएलएफ के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित आर्थिक गतिविधियों का शिलान्यास भी किया।

सीएम ने सीएलएफ को बड़ी सौगात, 2.20 करोड़ की आर्थिक गतिविधियों का किया लोकार्पण और शिलान्यास
विश्व की योगनगरी ऋषिकेश में सरस आजीविका मेले का किया जा रहा आयोजन

देहरादून। विश्व की योगनगरी ऋषिकेश में सरस आजीविका मेले का आयोजन किया गया। ताकि आर्थिक गतिविधियों के जरिए लोगों की आय को बढ़ाया जा सके। आयोजित मेले में सीएम धामी ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के क्लस्टर स्तरीय फेडरेशन (सीएलएफ) के लिए 1.20 करोड़ रुपए की 12 आर्थिक गतिविधियों का लोकार्पण किया। इसके साथ ही सीएम ने 10 अन्य सीएलएफ के लिए 1 करोड़ रुपये की प्रस्तावित आर्थिक गतिविधियों का शिलान्यास भी किया।
दरअसल, ग्रामोत्थान परियोजना के तहत ऋषिकेश में ग्राम्य विकास विभाग और जिला प्रशासन की ओर से सरस आजीविका मेले का आयोजन किया गया। मेले में मौजूद स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण उद्यमियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह मेला हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा, कौशल और उद्यमिता को प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है। आजीविका मेलों के जरिए जहां एक ओर स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट मंच मिलता है, वहीं ये मेले प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को भी साकार करने में सहायक साबित होते हैं। ऐसे मेलों के जरिए हम ग्रामीण कारीगरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, हस्तशिल्पियों, ग्रामीण उद्यमियों के साथ-साथ कृषि उत्पादों और ग्रामीण कौशल को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने इस मेले में स्वयं सहायता समूहों की ओर से लगाए गए स्टॉल ‘स्वदेशी अपनाओ’ के उस संदेश को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसमें हमें अपने गांव, अपने प्रदेश और अपने देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देने का संकल्प लेना है। सीएम ने कहा कि जब हम स्वदेशी उत्पाद खरीदते हैं तो वो सिर्फ एक सामान की खरीद नहीं होती, बल्कि वो हमारे ग्रामीण कारीगरों, मातृशक्ति और उद्यमियों के सपनों में निवेश होता है। इसलिए स्वदेशी अपनाना न केवल हमारी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि यह हमारे किसानों, हस्तशिल्पियों और स्थानीय उद्यमियों की आजीविका को भी सुरक्षित करता है।

स्वदेशी अपनाओ अभियान
देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, प्रधानमंत्री ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत की नींव स्वदेशी पर टिकी है। यह मेला उसी दिशा में एक सशक्त कदम है, जो हमारे स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का जरिया बनेगा। प्रधानमंत्री के इस आह्वान को हमारी मातृशक्ति ने सबसे पहले आत्मसात किया और आज हमारे स्वयं सहायता समूहों की दीदियां अपने श्रम और कौशल से स्वदेशी उत्पादों को नए आयाम दे रही हैं। आप सभी से अपील करता हूं कि इस मेले में लगे स्टॉल से स्वदेशी उत्पादों को खरीद कर स्वदेशी अपनाओ के अभियान को और मजबूती प्रदान करने के साथ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं। जब एक महिला आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं तो वो न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को सशक्त बनाने का कार्य करती हैं।

1.66 लाख से अधिक दीदियां लखपति
देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत अब तक हमारे राज्य की 1.65 लाख से अधिक महिलाओं ने लखपति बनने का गौरव प्राप्त किया है। साथ ही, ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव’ योजना के तहत महिलाओं की ओर से करीब 2000 स्टॉल लगाकर लगभग 5.5 करोड़ रुपये के मार्केटिंग ने उद्यमशीलता की एक नई मिसाल कायम की है। इतना ही नहीं, सरकार की ओर से लॉन्च किए गए हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड के जरिए भी हमारी बहनों द्वारा बनाए जा रहे तमाम स्थानीय उत्पाद अब विश्व के कोने-कोने तक पहुंच रहे हैं। राज्य में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 68 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों में 5 लाख से अधिक सदस्य जुड़े हैं, साथ ही, साढ़े सात हजार से अधिक ग्राम संगठन और 534 क्लस्टर स्तर के संगठन भी बनाए गए हैं। सरकार महिला किसानों को भी सशक्त बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। हमने फार्म लाइवलीहुड और महिला किसान सशक्तिकरण योजना के तहत राज्य की लगभग 3 लाख से अधिक महिला किसानों की क्षमता और कौशल का विकास करने का काम किया है। इसके अलावा, 2.5 लाख एग्री न्यूट्री गार्डन और किचन गार्डन की स्थापना की है और लगभग 500 फार्म मशीनरी बैंक भी उपलब्ध कराए हैं। इतना ही नहीं, सरकार राज्य की 5 हजार से अधिक महिला किसानों को आर्गेनिक खेती से जोड़ने का कार्य भी कर रही है। इन सभी प्रयासों के माध्यम से आज हमारे प्रदेश की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। आज मातृशक्ति आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं, जो इस सरस मेले में भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है।

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