
करोड़ों के घोटाले की जांच के लिए की गई एसआईटी गठित
आरोपी बिल्डर पत्नी समेत बीते करीब डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से गायब है
देहरादून। नामी बिल्डर शाश्वत गर्ग और उनकी पत्नी साक्षी गर्ग के मामले में नया अपडेट आया है। दोनों के खिलाफ राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद आईजी गढ़वाल ने सीओ मसूरी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए है। वही अब निवेशकों की शिकायत पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय की ओर से दोनों के पासपोर्ट निरस्त कर दिए गए है।
आरोपी शाश्वत गर्ग पत्नी समेत बीते करीब डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से लापता है। साथ ही बताया जा रहा है कि यूपी की हापुड़ और उत्तराखंड की देहरादून पुलिस बिल्डर शाश्वत गर्ग व उनकी पत्नी साक्षी गर्ग की तलाश कर रही है। हालांकि अभी तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया है। इंपीरियल वैली में निवेश करने वाले रितेश धीमान ने बताया कि शाश्वत गर्ग और साक्षी गर्ग नेपाल भाग गए है। इसके बाद कुछ निवेशक उनकी तलाश में नेपाल भी गए, लेकिन वो नेपाल से भी भाग गए।
बिल्डर शाश्वत गर्ग परिवार संग बीती 17 अक्टूबर को यूपी के हापुड़ में अपनी ससुराल गया था। बताया जा रहा है कि 17 अक्टूबर की शाम को ही बिल्डर शाश्वत गर्ग अपनी पत्नी साक्षी गर्ग के साथ हापुड़ से देहरादून के लिए निकल गए थे, लेकिन वो अगले दिन भी देहरादून नहीं पहुंचे। दोनों का फोन भी बंद आ रहा था। तभी से दोनों गायब है। इस मामले में हापुड़ पुलिस भी जांच कर रही है। हापुड़ पुलिस की जांच में ये भी सामने आया था कि उसका किसी से बड़ी रकम का लेनदेन है। पुलिस को शाश्वत गर्ग का गाड़ी हरिद्वार की पार्किंग में खड़ी मिली थी।
इसके बाद पुलिस की जांच आगे बढ़ी तो कई बातें सामने आई, जिसके बाद दंपति के खिलाफ थाना राजपुर में मुकदमा दर्ज किया गया। इस मुकदमे में बिल्डर शाश्वत गर्ग अलावा उसकी पत्नी, मां, पिता और 2 साले भी नामजद है। ये मुकदमा अंतरिम सोसायटी प्रबंधन समिति आर्केडिया हिलाक्स अध्यक्ष विवेक राज की तहरीर पर हुआ। आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने बताया है कि इस मामले में एसआईटी का गठन किया है। इस एसआईटी के अध्यक्ष सीओ मसूरी मनोज असवाल होंगे। जबकि सदस्यों में इंस्पेक्टर विद्याभूषण नेगी, थाना राजपुर प्रभारी प्रदीप रावत, प्राथमिक के विवेचना अधिकारी और रेंज कार्यालय के एक दरोगा है। साथ ही सभी को विवेचना को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
देहरादून में दो आवासीय परियोजनाओं में निवेश के नाम पर करोड़ों रुपए ठगी कर फरार हुए बिल्डर पति-पत्नी पर क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी कार्यालय में कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए हैं। पासपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालय क्षेत्रीय अधिकारी विजय शंकर पांडे ने बताया है कि इंपीरियल वाली में निवेश करने वाले पीड़ितों ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। वही आर्केडिया हिलाक्स से भी 12 व्यक्तियों की शिकायत दर्ज की गई थी। इसके बाद शाश्वत गर्ग और उनकी पत्नी साक्षी को नोटिस जारी किया गया है।15 दिन के भीतर जवाब न मिलने पर रिमाइंडर भी भेजा जाएगा। जब शाश्वत और साक्षी की तरफ से कोई उत्तर नहीं मिला तो क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने दोनों के पासपोर्ट को निरस्त कर दिए।
फ्लैट बुक किए गए, लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई
देहरादून। उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि मसूरी रोड पर एक अपार्टमेंट का निर्माण अतुल गर्ग निवासी राजनगर गाजियाबाद की जमीन पर किया जा रहा है। प्रोजेक्ट का निर्माण प्रवीण गर्ग और उनके बेटे शाश्वत गर्ग निवासी ऊषा कॉलोनी देहरादून की ओर से किया जा रहा है। इसमें शाश्वत गर्ग की पत्नी साक्षी गर्ग भी शामिल है। प्रोजेक्ट में शाश्वत के साले उत्तर प्रदेश के हापुड़ निवासी कुशल गोयल और सुलभ गोयल भी साझेदार हैं। पीड़ित ने बताया गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के डेवलपर्स व डायरेक्टर ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) को प्रोजेक्ट संबंधी दस्तावेज नहीं दिए। जिस कारण एमडीडीए ने रेरा को पत्र लिखकर प्रोजेक्ट में फ्लैट की रजिस्ट्री करने से रोक लगा दी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने और अन्य बिल्डर ने यह इसलिए किया, क्योंकि उनके दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर जाली हस्ताक्षर के साथ फर्जी एग्रीमेंट, अलाटमेंट, सेल एग्रीमेंट आदि लगाए थे। फ्लैट के नाम पर बिल्डरों ने एक संगठित गिरोह बनाकर सेना के अधिकारियों को धोखा देकर अनुचित लाभ कमाया।
जिस गोल्डन एरा इंफ्राटेक के नाम का उपयोग कर यह पूरा घोटाला किया गया, उसके असली मालिक और डायरेक्टर भी अतुल गर्ग ही हैं। पावर ऑफ अर्टानी में अतुल ने ऐसा कोई जिक्र नहीं किया। उसके बाद जब उन्होंने भाई प्रवीण और भतीजे शाश्वत को अधिकृत किया तो आर्केडिया हिलाक्स में निवेशकों के करोड़ों रुपये निवेश कराए गए। फ्लैट बुक किए गए, लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई।



