उत्तराखंड

एसडीएम ने किए 48 स्थाई निवास प्रमाण पत्र रद्द

नैनीताल क्ड के निर्देश पर जनपद की सभी तहसीलों में पिछले पांच साल में बनाए गए स्थाई निवास के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

200 प्रमाण पत्रों में 48 प्रमाण पत्रों में लगाए गए दस्तावेजों में संदिग्धता पाई गई
हल्द्वानी। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हाल ही में फर्जी दस्तावेज लगाकर स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया था। इस खुलासे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते तीन सालों में बने स्थायी निवास प्रमाण पत्र की जांच के आदेश दिए थे।
नैनीताल जिलाधिकारी के निर्देश के बाद हल्द्वानी तहसील में पिछले पांच साल में बने स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है। प्रथम चरण में बनभूलपुरा क्षेत्र के बने स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है। 200 प्रमाण पत्रों में 48 प्रमाण पत्रों में लगाए गए दस्तावेजों में संदिग्धता पाई गई है। जिसके बाद एसडीम ने 48 स्थायी निवास प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया है। फर्जी दस्तावेज लगाकर स्थाई निवास बनाने के मामले में ज़िले की हर तहसील में जांच जारी है। नैनीताल क्ड के निर्देश पर जनपद की सभी तहसीलों में पिछले पांच साल में बनाए गए स्थाई निवास के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इसी क्रम में हल्द्वानी तहसील में पांच सालों में बने 150-200 स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच के दौरान 48 ऐसे स्थाई निवास प्रमाण पत्र बने हैं, जिनमें लगे डॉक्यूमेंट में जांच टीम को संदिग्धता प्रतीत हुई है। एसडीएम हल्द्वानी ने फ़र्ज़ी पाए गए सभी 48 स्थायी निवास प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है। उन्होंने बताया पहले चरण में हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र के स्थाई निवास प्रणाम की जांच की जा रही है। जांच में फोन नंबर से लेकर उनके दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व कुमाऊं कमिश्नर के जनता दरबार में शिकायत मिली थी कि फर्जी डॉक्यूमेंट से दो माह पूर्व बरेली से आए एक व्यक्ति का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बन गया है। जब कमिश्नर द्वारा मामले की गोपनीय जांच कराई गई तो जानकारी में आया कि हल्द्वानी तहसील में अरायजनवीस (दस्तावेज़ लेखक) द्वारा उसका स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाया गया था। इसके बाद कमिश्नर दीपक रावत ने बनभूलपुरा क्षेत्र के एक सीएससी सेंटर में छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान कमिश्नर दीपक रावत को सीएससी सेंटर में कई दस्तावेज मिले, जिसके बाद उन्होंने आरोपी अरायजनवीस फैजान और कथित लाभार्थी लईक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस जांच में यूपीसीएल के एक कर्मचारी की संलिप्तता पाई गई थी। बनभूलपुरा पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

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