
लखनऊ में उत्तराखंड महोत्सव में पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
लोक परंपरा और लोक संस्कृति को बताया एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अभिव्यक्ति
उत्तराखंड की नदियों और महापुरुषों के योगदान को किया याद
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में आयोजित उत्तराखंड महापरिषद के उत्तराखंड महोत्सव में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचे। सीएम योगी ने देश की सुरक्षा और विकास में उत्तराखंड के योगदान को याद किया। सीएम योगी ने इस अवसर पर ‘उत्तराखंड दर्पण 2025’ स्मारिका का विमोचन किया। सीएम योगी के साथ इस मौके पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड की लोक-परंपरा और लोक-संस्कृति को समेकित रूप से एकजुट कर आगे बढ़ाते हैं तो इसका लाभ देश को प्राप्त होगा, यही एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अभिव्यक्ति है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड में जन्म लेने के बाद भी देश की सुरक्षा और देश के प्रत्येक क्षेत्र में योगदान देने के लिए उत्तराखंड का नागरिक जब कार्य करता है, तो अपनी अटूट देशभक्ति के कारण वह अपने आप को वहां की स्थानीय संस्कृति के साथ समरस करने में देर नहीं लगाता।
आज का यह महोत्सव भी अवधी संस्कृति और उत्तराखंड की संस्कृति के बेहतर समन्वय का ही स्वरूप है। इस महोत्सव में अवध के श्री राम हैं तो उत्तराखंड के बदरी विशाल भी हैं। उत्तराखंड के चारों धाम भी इसके साथ जुड़कर इस महोत्सव की शोभा को एक नई ऊंचाई तक पहुंचने में अपना योगदान दे रहे हैं। यह हम सबका सौभाग्य है कि आज का उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के कारण बना। उत्तर प्रदेश के विकास के लिए भी इस प्रतिबद्धता के साथ स्थापना काल से ही अगर योगदान देने में नाम लिया जाता है तो उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत का नाम लिया जाता है। उन्होंने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में अपनी सेवाएं पहले देश की स्वाधीनता के लिए और फिर स्वतंत्र भारत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दी हैं।
योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जो कार्य योजना पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने सुनिश्चित की उसी की नींव पर भावी उत्तर प्रदेश का निर्माण करने में सफलता प्राप्त की गई। यह उत्तर प्रदेश और देश का गौरव है कि इस उत्तराखंड में स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा को और स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को भी जन्म दिया, जिन्होंने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों और देश में कार्य किया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संकट के दौरान लोक कला ही इतिहास का संरक्षण करके रखती है। भारत के बहुत सारे ऐसे क्षण हैं, जिन्हें विदेशी इतिहासकारों ने भारत के गौरवशाली इतिहास के साथ नहीं जोड़ा है, क्योंकि भारत की गौरव और गरिमा के साथ जुड़े हुए उन पन्नों को अगर रखा जाता तो कहीं ऐसा न हो कि भारत का सच्चा इतिहास भारत के नागरिकों को प्राप्त हो। इसके लिए उन लोगों ने शरारत की, लेकिन लोक गायन और लोक परंपरा के माध्यम से वह गाथा आज भी हम सबको सुनने और देखने को प्राप्त होती है। हम सब इस दिशा में आगे बढ़ें। हमें अपनी मातृभूमि, अपनी देवभूमि पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। वहां की लोक कला, परंपरा, वहां के खान-पान, वहां की संस्कृति को संरक्षित करते हुए उसे हमें प्लेटफार्म भी देना चाहिए। यही है एक भारत श्रेष्ठ भारत का प्रधानमंत्री जी का उपहार जिसे आगे बढ़ाने का काम अखिल भारतीय स्तर पर संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कर रहे हैं।
सीएम योगी ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को भी स्मरण किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तराखंड के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का स्मरण हर देशभक्त करता है। उत्तराखंड बनने के बाद उत्तराखंड की ग्रीष्म कालीन राजधानी को स्थापित करना वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का काम उत्तराखंड के वीरों, उस वीर भूमि ने उस देव भूमि ने वहां पर किया है। यह उत्तराखंड की ही देन है कि भारत की रक्षा सेना के इर्द-गिर्द भी कमांडर इन चीफ के रूप में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी उत्तराखंड की ही देन हैं और द्वितीय सीडीएस भी उत्तराखंड की ही देन हैं। यानी हमने भक्ति और शक्ति का संबंध उत्तराखंड ने इस प्रकार किया है, जैसे राजस्थान की धरती ने करके दिखाया है।
देश के विकास में गंगा-यमुना समेत अन्य नदियों के योगदान को बताया
आज भी मां गंगा, मां यमुना, सरयू और शारदा नदी इस क्षेत्र से होकर के उत्तर प्रदेश की भूमि को उपजाऊ करते हुए यहां की धरती से सोना उगलने का काम भी करती हैं। देश की सुरक्षा के लिए अपनी जवानी लगाने वाला उत्तराखंड का नौजवान और अमृत तुल्य जल देने वाली मां गंगा, मां यमुना और मां सरयू जैसी पवित्र नदियां हमें उत्तराखंड से ही प्राप्त होती हैं। इस तरह के महोत्सव अगर न मनाए जाएं, तो वास्तव में लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता से विमुख हो जाएंगे। उनको पता ही नहीं होगा कि लोक कला क्या है, लोग गायन क्या है, लोक संस्कृति क्या है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी रहे मौजूद
इस मौके पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि उत्तराखंड महोत्सव लखनऊ में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। बरसों से यहां पर लखनऊ में आयोजित हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवा धारण करके समाज को सन्मार्ग पर अग्रसर कर रहे हैं। जिस पौधे को गोविंद बल्लभ पंत ने लगाया था, उसे आज भी भावनात्मक योगदान करके उस विशाल वृक्ष को सींच रहे हैं। यह उत्तराखंड महोत्सव मात्र सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, अभी तो यह उत्तराखंड की आत्मा, उसकी परंपराओं और उत्तराखंड की लोक कला को संजोए हुए है। उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को उत्तराखंड अपने में समेटे हुए है। उत्तराखंड देश की संस्कृति की नई आध्यात्मिक राजधानी भी है। उस सांस्कृतिक ऊर्जा को समावेशित करते हुए लखनऊ की धरती पर जीवित रखने का काम उत्तराखंड महापरिषद कर रही है। उत्तराखंड का इतिहास युगों का है। वह सांस्कृतिक चेतना देता है। प्रधानमंत्री ने भी इस देवभूमि के लिए कहा था कि उत्तराखंड की देवभूमि न केवल एक पहाड़ी सौंदर्य की धरती है, अपितु देश और दुनिया को आध्यात्मिक दिशा देने वाली धरती है। पीएम मोदी ने कहा था कि एक समय आएगा जब यह उत्तराखंड आध्यात्मिक रूप से पूरे विश्व का नेतृत्व करता हुआ और मार्गदर्शक बनेगा।



