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हाथियों की कब्रगाह बना हरिद्वार डिवीजन, चौथे हाथी की करंट लगने से मौत

चिंता की बात यह है कि करीब 45 साल के युवा हाथी की मौत करंट लगने से हुई है, जिसको लेकर वन विभाग जांच में भी जुट गया है।

वन विभाग के अधिकारी मान रहे करंत लगने से हुई घटना
देहरादून। हरिद्वार डिवीजन में एक और हाथी की मौत हो गई है। मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि पिछले हफ्ते ही इसी डिवीजन में तीन हाथी विभिन्न कारणों से मृत मिले थे। अब चौथे युवा हाथी की मौत ने डिवीजन की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बड़ी बात यह है कि एक दिन पहले ही वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने हाथी गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक की थी।
वन विभाग और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट समेत तमाम फॉरेस्ट से जुड़े संस्थान इस बात को लेकर खुश हैं कि देश में पहली बार हाथियों की डीएनए आधारित गणना की गई है। लेकिन हाथियों की संख्या का आंकड़ा सामने आने के बीच हरिद्वार डिवीजन से बुरी खबर सामने आई है। दरअसल, हरिद्वार रेंज के बहादराबाद क्षेत्र में एक युवा हाथी की मौत हुई है।
चिंता की बात यह है कि करीब 45 साल के युवा हाथी की मौत करंट लगने से हुई है, जिसको लेकर वन विभाग जांच में भी जुट गया है। हैरानी की बात यह है कि हरिद्वार डिवीजन में ही 26 सितंबर से लेकर अब तक कुल चार हाथी मर चुके हैं। जिसमें यह दूसरा हाथी है, जिसकी मौत करंट लगने से मानी जा रही है।
पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ आरके मिश्रा ने कहा कि बहादराबाद क्षेत्र में बिजली के खंभे में मौजूद तार के संपर्क में आने से इस हाथी की मौत हुई है। बिजली के खंभे में लगी सपोर्टिव तार से संभवत हाथी संपर्क में आया और उसके बाद यह खंभा नीचे की ओर झुक गया, जिसके चलते खंभे में लगी वायर के संपर्क में आने के बाद हाथी की मौत हुई है।
इस मामले में एक तरफ पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ आरके मिश्रा ने हरिद्वार डिवीजन के डीएफओ को गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं तो वहीं कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट राजीव धीमान को भी बिजली विभाग के लिए सख्ती के साथ पत्र लिखने के लिए कहा है।
दूसरी तरफ हाथी की मौत के मामले में हरिद्वार के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध का कहना है कि भू-धंसाव के कारण यह खंभा झुक गया था और इसके कारण ही हाथी नीचे झुक खंभे में लगी इलेक्ट्रिसिटी वायर के संपर्क में आ गया। डीएफओ के बयान से साफ है कि बिजली विभाग की तरफ से इस पर समय से काम नहीं होने के कारण दुर्घटना हुई। हालांकि इस पर बिजली विभाग और वन विभाग के संयुक्त रूप से की गई जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिरकार इस दुर्घटना के पीछे किसकी जिम्मेदारी बनती है।
दरअसल, बिजली के खभों की स्थिति समय-समय पर देखे जाने की जरूरत होती है। लेकिन अक्सर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। इतना ही नहीं, वन क्षेत्र में इन बिजली के खंभे के चारों तरफ सुरक्षा को लेकर भी बिजली विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिसके कारण वन्यजीवों के लिए हर समय इन जगहों पर खतरा बना रहता है। वन विभाग ने बिजली विभाग को भी नियमत ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा है, जो अपने खेतों में बिजली की तारे बिना अनुमति के लगाते हैं। फिलहाल हाथी के पोस्टमॉर्टम के लिए तैयारी की जा रही है। साथ ही हाथी का विसरा भी भेजा जाएगा, ताकि हाथी की मौत को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके। घटना के बाद फौरन पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ और कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट शिवालिक मौके पर पहुंचे हैं। साथ ही डीएफओ ने भी घटनास्थल का मौका मुआयना किया है।

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