उत्तराखंडदेहरादून

आईपीएस रचिता जुयाल का इस्तीफा मंजूर

करीब 3 महीने पहले जून में रचिता ने वीआरएस का आवेदन किया था। फिलहाल आईपीएस रचिता जुयाल सीओ विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रही है। ।

जल्द ही शासकीय कार्यों से हो जाएंगी अवमुक्त
देहरादून। उत्तराखंड में भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी रचिता जुयाल का इस्तीफा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूर कर लिया है। इसके बाद अब जल्द ही वो शासकीय कार्यों से अवमुक्त हो जाएंगी। उधर आईपीएस अफसर बीवीआरसी पुरुषोत्तम की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन पर सस्पेंस बरकरार है।
प्रदेश में पिछले दिनों दो अधिकारियों की अपनी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन खासा चर्चाओं में रहा। इसमें पहले आईएएस अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम थे तो दूसरी अधिकारी आईपीएस रचिता जुयाल थीं। ताजा खबर यह है कि लंबे समय के बाद आखिरकार तमाम औपचारिकताओं को पूरा करते हुए रचिता जुयाल का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है।
रचिता जुयाल साल 2015 की आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की इच्छा जाहिर की थी। इस मामले में अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके इस आवेदन को मानते हुए त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है। करीब 3 महीने पहले जून में रचिता ने वीआरएस का आवेदन किया था। फिलहाल आईपीएस रचिता जुयाल सीओ विजिलेंस की जिम्मेदारी संभाल रही है। ।
खास बात यह भी है कि आईपीएस रचिता जुयाल के ही सुपरविजन में हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले की जांच भी चल रही है और इस जमीन घोटाले में मनी ट्रेल को भी विजिलेंस ट्रेस कर रही है। उधर अब रचिता के इस्तीफे के बाद सीओ विजिलेंस हर्षवर्धनी सुमन के सुपरविजन में इस जांच को किया जाएगा। हालांकि पहले से ही हर्षवर्धनी इस जांच को संभाल रही थी, लेकिन अब अब पूरी जांच की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर होगी।
उधर दूसरी तरफ आईएएस अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम की स्वैच्छिक सेवानिवृति भी काफी चर्चाओं में रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि 2004 बैच के इस आईएएस अधिकारी के पास अभी काम करने का करीब 12 साल का मौका है, लेकिन अचानक वीआरएस का आवेदन मिलने से शासन में खलबली मच गई थी।
हैरानी की बात यह है कि बीवीआरसी पुरुषोत्तम को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन किए हुए तीन महीने से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब तक इस पर शासन स्तर से ही सस्पेंस बरकरार है। बड़ी बात यह है कि अभी इस अधिकारी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से जुड़ी औपचारिकताओं को ही पूरा नहीं किया जा सका है, जबकि ऑल इंडिया सर्विस को लेकर एक नियम यह भी है कि शैक्षिक सेवानिवृत्ति में 3 महीने तक अनुमति नहीं मिलने के बाद तथा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मान ली जाती है, लेकिन इस प्रकरण में स्थितियां थोड़ा अलग इसलिए है क्योंकि शासन स्तर पर इसको लेकर अभी कोई फाइल ही तैयार नहीं होने की जानकारी मिल रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button