उत्तराखंड

शिक्षकों का चॉक डाउन से आंदोलन का आगाज

प्रधानाचार्य सीधी भर्ती और पदोन्नति नहीं होने से आक्रोशित

शिक्षकों का चॉक डाउन से आंदोलन का आगाज
प्रधानाचार्य सीधी भर्ती और पदोन्नति नहीं होने से आक्रोशित
माध्यमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन हुआ प्रभावित
रुद्रप्रयाग। प्रधानाचार्य सीधी भर्ती और पदोन्नति न होने से आक्रोशित शिक्षकों ने आंदोलन शुरू कर दिया है, जिसकी शुरूआत शिक्षकों ने चॉक डाउन से की है। ब्लॉक ऊखीमठ के 22, अगस्त्यमुनि के 59 तथा ब्लॉक जखोली के 35 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं पूर्ण रूप से चॉक टाउन कर संगठन को मजबूती प्रदान कर रही हैं।
राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आलोक रौथाण ने बताया कि प्रांतीय कार्यकारिणी के आवाहन पर क्रमबद्ध आंदोलन की शुरुआत सोमवार से चॉक डाउन से की गई है। प्रधानाचार्य सीधी भर्ती और विगत कई वर्षों से पदोन्नति न होने के कारण शिक्षकों में भारी रोष बना हुआ है। संगठन लम्बे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा है, लेकिन आज तक विभाग और सरकार की ओर से कोई भी ठोस नीति पदोन्नति को लेकर नहीं बनाई गई है। बताया कि शिक्षकों के प्रदेशव्यापी इस आंदोलन में जनपद रुद्रप्रयाग अग्रणी भूमिका निभा रहा है। जिले के ब्लॉक ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि तथा जखोली के शिक्षक-शिक्षिकाएं पूर्ण रूप से चॉक डाउन कर संगठन को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। साथ ही सरकार को यह संदेश दे रहे हैं कि यदि शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांगों को समयबद्ध पूर्ण नहीं किया जाता है तो यह क्रम जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि चॉक डाउन के बाद भी सरकार और शासन नहीं माना तो मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय और निदेशालय स्तर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जिला मंत्री शंकर भट्ट ने कहा कि राजकीय माध्यमिक शिक्षक पूर्व में भी प्रधानाचार्य सीधी भर्ती एवं पदोन्नति की मांगों को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन कर चुका है। सरकार की ओर से आश्वासन दिए जाने के बाद भी सभी राजकीय शिक्षक ठगे हुए महसूस कर रहे हैं। संरक्षक नरेश भट्ट ने कहा कि सरकार एवं विभाग द्वारा जब तक स्पष्ट शासनादेश जारी नहीं हो जाता, तब तक राजकीय शिक्षक अपनी मांगों को लेकर मुखरता के साथ इस लड़ाई को लड़ते रहेंगे। ब्लॉक अध्यक्ष अगस्त्यमुनि अंकित रौथाण ने कहा कि हड़ताल की अवधि में छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन का जो नुकसान होगा, उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी विभाग एवं सरकार की होगी। यदि सरकार छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को लेकर के सजग है तो उन्हें शीघ्र ही अध्यापकों की यह मांगे माननी चाहिए।

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