
देहरादून। धराली शहर का एक बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया है। तकरीबन 20 से 25 फीट का मलबा शहर ने भर गया हैं। स्थानीय लोगों की मदद से और जिला प्रशासन की टीमें मदद कर रही हैं। घटनास्थल से पहले तीन जगह मार्ग बाधित है। गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने बताया कि अभी फिलहाल राहत बचाव कार्यों में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। धराली पहुंचने वाला संपर्क मार्ग नेताला पर बाधित है। जिसे टीम खोलने में लगी हुई है। वहीं इसके अलावा अन्य दो से तीन जगह पर भी मार्ग थोड़ा बहुत बाधित हैं। गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने बताया आपदा प्रबंधन ने भारतीय वायु सेवा से भी संपर्क किया गया है। अभी मौसम खराब चल रहा है। ऐसे में भारतीय वायुसेना की मदद संभव नहीं है।
जिलाधिकारी ने राहत और बचाव कार्य को युद्धस्तर पर करने के निर्देश देते हुए राहत शिविर में भोजन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही एम्बुलेंस, 108 व डॉक्टर की टीम मौके पर तैनात करने के निर्देश दिए। हर्षिल व झाला स्वास्थ्य केंद्र में बैड, ऑक्सीजन, दवाई आदि की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही जिला अस्पताल में डॉक्टर को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं।
धराली में खास मेले के लिए जुटे थे लोग
हादसे ने किया हतप्रभ, महिलाओं ने भागकर बचाई जान
उत्तरकाशी। आपदा प्रभावित धराली और मुखबा गांव में बीते सोमवार देर शाम को हर वर्ष मनाए जाने वाले समेश्वर देवता के दो दिवसीय हारदूधू मेले का शुभारंभ किया गया था। वहीं मंगलवार दिन में भी मेले का भव्य आयोजन किया जाना था, लेकिन किसको पता था कि मेले के दोपहर में आयोजन से पहले यह त्रासदी धराली को तबाह कर देगी। उसके बाद मुखबा गांव में भी दिन में मेले का आयोजन नहीं किया गया।
धराली और मुखबा गांव में सावन माह में हर वर्ष दो दिवसीय हारदूधू मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें रात्री में ग्रामीण बुग्यालों से लाए ब्रहमकमल और अन्य पवित्र फूलों को देवता के मंदिर के आंगन में बिछाते हैं। वहीं उनके चारों ओर सावन में होने वाले अपने घरों से दूध-दही आदि का देवता को भेंट करते हैं।
समेश्वर देवता की विशेष पूजा अर्चना के साथ देवडोली को लोग कंधे पर नचाते हैं। उसके बाद मंगलवार को दिन में दोपहर दो बजे के बाद दोबारा इस मेले के समापन का आयोजन किया जाना था, लेकिन किसको पता था कि दोनों गांव में दूसरे दिन के मेले के आयोजन से पहले एक ऐसी भयावह त्रासदी देखने को मिलेगी। वहीं, धराली गांव में खीर गंगा मे आए सैलाब के दौरान कई महिलाएं मंदिर परिसर में ही मौजूद थी। वह खीरगंगा के समीप ही बना है। उन्होंने भी पहाड़ी की ओर भागकर अपनी जान बचाई। साथ ही इस त्रासदी के बाद पड़ोसी गांव मुखबा में मेले का आयोजन नहीं किया गया।
मुखबा निवासी सरत सिंह मार्ताेलिया ने बताया धराली का मंजर बहुत ही भयावह था। कुछ पल में ही मलबे और पानी के रूप में मौत धराली बाजार तक जा पहुंची। वहीं बीते सोेमवार रात्री में धराली सहित मुखबा में मेले का आयोजन धूमधाम से किया गया था। आज इस मेले का समापन होना था। उससे पहले ये हादसा हो गया।
धराली आपदाः गांव तक पहुंचने के लिए सेना बना रही रास्ता
फंसे लोगों को निकालने का प्रयास
उत्तरकाशी। जिले के धराली में मंगलवार को आई प्राकृतिक आपदा के बाद बुधवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। सेना के साथ ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस राहत और बचाव कार्य में लगी है। उत्तराखंड के पिछले 48 घंटे से लगातार बारिश का सिलसिला जारी है। जिसका असर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में देखने को मिल रहा है। उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने की वजह से बनी आपदा जैसी स्थिति शासन- प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सभी विभाग आपसी तालमेल बनाकर कार्रवाई कर रहे हैं।आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की ड्यूटी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लगाने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने 11 डॉक्टर्स की टीम को भी रवाना कर दिया है। धराली आपदा में 4 लोगों की मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। 135 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है। इसके साथ ही आर्मी कैंप को भी नुकसान पहुंचा है। सेना के जनसम्पर्क अधिकारी मनीष श्रीवास्तव ने ये जानकारी दी है। धराली आपदा प्रभावित इलाके से ताजा अपडेट आया है। हर्षिल, धराली में राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। रेस्क्यू टीमों द्वारा आपदा स्थल से 135 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। धराली के पास (गंगोत्री की तरफ) से लगभग 100 लोग तथा हर्षिल आर्मी गेट से नीचे की तरफ 35 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। जिलाधिकारी उत्तरकाशी, प्रशांत आर्या एवं पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी सरिता डोबाल द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों की निरंतर निगरानी और निरीक्षण किया जा रहा है। अतिरिक्त कार्यबल को आपदाग्रस्त क्षेत्र में भेजने की क़वायद जारी है।