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धराली में रेस्क्यू अभियान चलाकर 150 लोगों को निकाला सुरक्षित

इन्हीं आधुनिक मशीनें और आधुनिक उपकरणों के जरिए राहत बचाव का कार्य किया जाएगा। हालांकि, अभी स्थिति सामान्य बनी हुई है।

बाढ़ में 8 सेना के जवानों सहित 15 से अधिक लोग लापता
रेस्क्यू अभियान में 250 से अधिक लोग जुटे
रोड कनेक्टिविटी ना होने के कारण रेस्क्यू कार्य में आ रही परेशानी

देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में आई आपदा को लेकर उत्तराखंड सरकार से लेकर भारत सरकार तक चिंतित है। आपदा आए 24 घंटे का समय बीत गया है। इस दौरान अभी तक करीब 150 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। हालांकि, अभी भी 15 से अधिक लोग लापता हैं। लापता लोगों में 8 सेना के जवान भी शामिल हैं। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने इस बात को कबूल किया कि मलबा अधिक आ जाने की वजह से रेस्क्यू में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा के बाद से अभी तक 150 लोगों का रेस्क्यू किया चुका है। रेस्क्यू कार्य में करीब 250 लोग जुटे हुए हैं। इसके अलावा करीब 600 लोग ऐसे हैं जो रास्ते में फंसे हुए हैं जिनके पास आधुनिक मशीनें और आधुनिक उपकरण मौजूद हैं। इन्हीं आधुनिक मशीनें और आधुनिक उपकरणों के जरिए राहत बचाव का कार्य किया जाएगा। हालांकि, अभी स्थिति सामान्य बनी हुई है। साथ ही राहत बचाव का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जहां संभावना है, वहां पर खोजबीन का काम किया जा रहा है। सूचनाएं मिली हैं कि मलबे में कुछ लोग दबे हो सकते हैं। ऐसे में वहां भी सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
सचिव ने कहा कि कुछ सेना के जवानों के लापता होने की सूचना मिली है, जिनकी संख्या 8 के करीब बताई जा रही है। ऐसे में इन सेना के जवानों की खोजबीन का काम भी किया जा रहा है। इसके अलावा 7 से 8 सिविलियन के भी लापता होने की सूचना है। ऐसे में लगभग कुल 15 लोगों के लापता होने की सूचना प्राप्त हुई है, जिनकी तलाश जारी है। साथ ही कहा कि कनेक्टिविटी ना होने की वजह से थोड़ी दिक्कतें आ रही हैं। लेकिन शाम तक अधिकांश लोग ट्रेस हो गए हैं। ऐसे में जो लोग ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं, उनको खोजने के लिए राहत बचाव की टीम काम कर रही है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द से जल्द लापता लोगों को खोज लिया जाएगा।
सुमन ने कहा कि उस क्षेत्र में मलबे से पटे क्षेत्र में मैनुअल काम करने में दिक्कत है। मशीनें वहां पर है, लेकिन और अधिक मशीनों की जरूरत है। जिसके चलते तीन चिनूक हेलीकॉप्टर मंगवाया गया है। एक चिनूक हेलीकॉप्टर देहरादून पहुंच चुका है। साथ ही भारत सरकार से दो और चिनूक हेलीकॉप्टर मांगे गए हैं। इनको हर्षिल हेलीपैड (सेना वाला) पर उतारकर मशीनों को भेजा जाएगा, ताकि राहत बचाव कार्यों में तेजी लाया जा सके। इसके अलावा आपदा के बाद से बहुत सारे लोगों को बचाया जा चुका है। ऐसे में संभावना बहुत कम है कि कुछ लोगों के मलबे में दबे होने की संभावना हो। लेकिन इसकी संभावना है कि कुछ लोग मलबे में दबे हो, ऐसे में इसको देखते हुए राहत बचाव के कार्य किया जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर्षिल में दो हेलीपैड हैं। एक आर्मी का हेलीपैड है जो पूरी तरह से सुरक्षित है। जहां पर चिनूक हेलीकॉप्टर या फिर एमआई 17 उतर सकता है। दूसरा हर्षिल में मौजूद हेलीपैड नदी में डूब गया है। हालांकि वो भी सुरक्षित है, लेकिन उसका इस्तेमाल अभी किया जाना संभव नहीं है।

दो और चिनूक मांगे गए
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान चिनूक हेलीकॉप्टर और मांगने पर चर्चा हुई थी। एक चिनूक हेलीकॉप्टर पहुंच गया है साथ ही दो और चिनूक हेलीकॉप्टर की डिमांड की गई है। ऐसे में जैसे ही प्रॉपर सूचना मिलेगी, उसके बाद मशीनों के साथ चिनूक हेलीकॉप्टर को देहरादून से रवाना किया जाएगा।

उत्तरकाशी जिले के लिए 20 करोड़ जारी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, आपदा के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम लोगों के संपर्क में हैं, ऐसे में भारत सरकार ने इस बात को कहा है कि जिस भी चीज की जरूरत है, उसको बताया जाए। भारत सरकार से हेलीकॉप्टर मांगा गया था और वह राज्य को प्राप्त हो गया है। उत्तरकाशी जिले के लिए 20 करोड़ रुपए की डिमांड की गई थी। ऐसे में राज्य सरकार ने आपदा मद से जिले के लिए 20 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए हैं। ऐसे में जिस भी चीज की जरूरत होगी, इसका प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाएगा।

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