उत्तराखंड

जूडो प्रशिक्षु खिलाड़ी यौन उत्पीड़न मामले पर हाईकोर्ट सख्त

उत्तराखंड जूडो एसोसिएशन को नोटिस जारी

मुरादाबाद निवासी कोच पर प्रशिक्षण के दौरान यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए
नेशनल में न खेलने देने और करियर खराब करने की धमकी दी
नैनीताल। जूडो प्रशिक्षु खिलाड़ी के साथ यौन उत्पीड़न मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। मामले में 19 वर्षीय जूडो प्रशिक्षु खिलाड़ी ने मुरादाबाद निवासी कोच पर प्रशिक्षण के दौरान यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। आज मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने उत्तराखंड जूडो एसोसिएशन को नोटिस जारी कर शपथ पत्र पेश करने को कहा है।
दरअसल, देहरादून निवासी एक महिला जूडो प्रक्षिशु खिलाड़ी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसमें उसने कहा है कि वो जूडो कराटे की नेशनल खिलाड़ी है। पिछले 7 साल से वो एक महिला ट्रेनर से देहरादून में प्रशिक्षण ले रही थी। साल 2024 में उसका चयन नेशनल खेलने के लिए भोपाल में हो रहे प्रशिक्षण के लिए हुआ। आरोप है कि महिला ट्रेनर ने उसे प्रशिक्षण के लिए भोपाल की बजाय मुरादाबाद के पुरुष कोच के पास भेज दिया। जो ट्रेनर के भी कोच रहे हैं।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि प्रशिक्षण के दौरान 12 मार्च 2025 को कोच उसे अपने खेतों पर बने फार्म हाउस में ले गया। जहां उसने फार्म हाउस के गेट बंद कर दिए और मसाज करने के नाम पर यौन उत्पीड़न किया। मना करने पर नेशनल में न खेलने देने और करियर खराब करने की धमकी दी। साथ ही कहा कि वो भोपाल नहीं जाने देगा। जब वो खेलने के लिए गई तो उसकी मानसिक स्थिति खराब थी और वो गेम से बाहर हो गई। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की जाए और दोषी को सजा दिलाई जाए। इस संबंध में पीड़िता ने देहरादून के रायपुर थाने बीती 28 अप्रैल 2025 को मुकदमा दर्ज कराया था। जिसे देहरादून पुलिस ने भोजपुर थाना (मुरादाबाद) ट्रांसफर कर दिया है।

बागेश्वर में खड़िया खनन पर रोक जारी रहेगी
खानों में पड़ी सामग्री की होगी नीलामी, हाईकोर्ट का आदेश
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले के कांडा तहसील सहित जिले के अन्य गांवों में हुए अवैध खड़िया खनन मामले की सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने खनन पर लगी रोक को नहीं हटाने का फैसला लिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी। बता दें कि बागेश्वर जिले में खड़िया के अवैध खनन मामले का उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर जनहित याचिका दायर की थी।
वैसे कोर्ट ने खड़िया खनन से बने गड्ढों को भरने की अनुमति दे दी है। गड्ढों को भरते वक्त केंद्रीय भू-जल बोर्ड के अधिकारियों के सामने गड्ढों को जीओ टैगिंग भी की जायेगी, ताकि भविष्य में उन्हें खोलना पड़े तो वह टैगिंग उसी अवस्था में मिलनी चाहिए। गड्ढों को भरने का जो खर्चा आएगा, उसकी वसूली खनन स्वामी से वसूली जाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जो खनन सामग्री खानों में पड़ी है, उसकी नीलामी पर्यावरणविद शेखर पाठक की अध्यक्षता में की जाए। उसके लिए टेंडर निकाला जाये। कोर्ट ने अल्मोड़ा की मैग्नेसाइट के मामले पर सुनवाई की, जिसमें कहा कि उन्होंने नियमों के तहत खनन किया है, जो रिपोर्ट आई है, वह भी उनके हित में है। उन्हें खनन के साथ-साथ ब्लास्टिंग की अनुमति दी जाये। पीसीबी की तरफ से कहा गया कि उनका लाइसेंस निरस्त है। कोर्ट ने कहा कि आप वहां प्रार्थना पत्र दें।
खनन करने वालों की तरफ से कहा गया कि उनके खनन के पट्टों की लीज समाप्त हो रही है। इसीलिए खनन पर लगी रोक को हटा दिया जाए, जो सॉफ्ट स्टोन शील्ड किया है, उसे भी रिलीज किया जाए। उनके ऊपर बैंकों का लोन है। दिन प्रतिदिन लोन के बोझ से दबते जा रहे हैं। आए दिन उन्हें बैंकों के नोटिस आ रहे हैं। इसलिए लगी रोक को हटाया जाये।

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