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भूमि घोटाले में हरिद्वार संसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की विस्तृत जांच की मांग

हरिद्वार भूमि घोटाले की होगी अब विजलेंस जांच,सीएम ने दिए संबधित भूमि के विक्रय पत्र निरस्त करने के निर्देश

देहरादून। हरिद्वार के चर्चित जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। उत्तराखंड के इतिहास में ये दूसरी बार हुआ है, जब किसी जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। हरिद्वार डीएम कर्मेंद्र सिंह और आईएएस वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही पीसीएस अधिकारी अजयवीर पर भी निलंबन की कार्रवाई की गई है। इन अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश भी दिए हैं। इस पूरे मामले पर हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अधिकारियों ने ये दुस्साहस कैसे किया? इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए।
दरअसल, साल 2024 में हरिद्वार नगर निगम ने ग्राम सराय में 54 करोड़ रुपए में 2.3070 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। ये जमीन नगर निकाय चुनाव के दौरान खरीदी गई थी। उस वक्त हरिद्वार नगर निगम की पूरी जिम्मेदारी यानी पूरा सिस्टम तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के हाथों में था। आरोप है कि नगर निगम ने जो जमीन खरीदी थी, उसकी कीमत 13 करोड़ रुपए थी। लेकिन उसे 54 करोड़ रुपए में खरीदा गया। साथ ही आज तक ये भी स्पष्ट नहीं हो पाया कि ये जमीन किस उद्देश्य के लिए खरीदी गई थी।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जो लोग राज्य के साथ इस तरह से धोखा कर रहे हैं। उन लोगों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। इस पूरे मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए। जांच होनी चाहिए कि कैसे इन लोगों ने इस तरह का साहस किया ? साथ ही कहा कि इसे साहस कहा जाए या दुस्साहस कहा जाए? इन लोगों ने ये दुस्साहस किया कैसे कि सरकार का 50 करोड़ रुपए को ठिकाने लगा दिया। ये बड़ा चिंता का विषय है। लेकिन जो कार्रवाई हुई है, उसके लिए वो सीएम को बधाई देते हैं।

देहरादून। हरिद्वार जमीन घोटाले में सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए जहां दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी को निलंबित किया है तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश भी दिए हैं। शुरुआती कार्रवाई में शासन ने कुल दस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है, जबकि एक कर्मचारी की सेवा समाप्त और एक का सेवा विस्तार समाप्त किया है। मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग से कराए जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि दोषियों की पूरी श्रृंखला का खुलासा हो सके और पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच की जा सके।
दरअसल, ये पूरा मामला साल 2024 का है। साल 2024 में निकाय चुनाव के दौरान हरिद्वार नगर निगम का पूरा सिस्टम नगर आयुक्त के पास था। उस वक्त हरिद्वार नगर आयुक्त की जिम्मेदारी आईएएस वरुण चौधरी के पास थी। नगर निकाय चुनाव के कारण हरिद्वार जिले में आचार संहिता लगी हुई थी, तभी हरिद्वार नगर निगम ने 33 बीघा जमीन खरीदी थी। ये जमीन किस उद्देश्य से खरीदी गई थी, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

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