उत्तराखंड

ईश्वर जैसा नाम नही व गीता जैसा ज्ञान नही का ब्रह्माकुमारीज ने दिया सन्देश

ब्रह्माकुमारीज केंद्र प्रभारी बीके गीता ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता मात्र परमात्मा का उपदेश नही है, अपितु यह जीवन पद्धति का सार भी है।

रुड़की। ब्रह्माकुमारीज के रुड़की सेवा केंद्र पर गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में ‘ईश्वर जैसा नाम नही, गीता जैसा ज्ञान नही’ का संदेश जहां ब्रह्माकुमारीज बहन राजयोगिनी गीता दीदी द्वारा दिया गया। वही शंकर मठ आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी दिनेशानंद भारती महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता वास्तव में धृतराष्ट्र रूपी अंधकार से श्रीभगवान उवाच रूपी प्रकाश तक पहुंचने की गाथा है।
उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के चरित्र निर्माण अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां आने वाले भाई बहनों के तेज व सद्व्यवहार से ऐसा झलकता है कि वे ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े है और स्वयं को इंसान से देवता बनाने के लिए राजयोग का अभ्यास कर रहे है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता जीवन के सद्व्यवहार का महान ग्रन्थ है, जिसे हम सभी को अपनाना चाहिए, हर वर्ग के मनुष्यों के लिए यह बेहद उपयोगी है, क्योंकि यह महान ग्रन्थ जीवन जीने की कला सीखाता है।उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था के सामाजिक व राष्ट्रीय योगदान की चर्चा की व कहा कि हर किसी को श्रीमद्भागवत गीता को आत्मसात करना चाहिए। राजयोगिनी बीके गीता ने श्रीमद्भागवत गीता को लोकोपयोगी बताया व कहा कि संदर्भित युद्ध अपनो ने अपनो के विरूद्ध नही किया गया, बल्कि अपने अंदर छिपे विकारो के विरुद्ध लडा गया था। यानि हमारे अंदर जो रावण रूपी, जो कंस रूपी, जो दुर्याेधन रूपी, जो दुशासन रूपी काम,क्रोध, अहंकार, मोह,लोभ छिपे है, उनका खात्मा करने और हमे मानव से देवता बनाने के लिए गीता रूपी ज्ञान स्वयं परमात्मा ने दिया है। जिसके निमित्त बने थे श्रीकृष्ण। परमात्मा के इसी ज्ञान की आज फिर से आवश्यकता है। ब्रह्माकुमारीज केंद्र प्रभारी बीके गीता ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता मात्र परमात्मा का उपदेश नही है, अपितु यह जीवन पद्धति का सार भी है। यह जीवन जीने की अदभुत कला का सूत्र भी है जिसमे श्रीमदभागवत के अठारह अध्यायों में ज्ञान योग,कर्म योग,भक्ति योग का समावेश है। इस अवसर पर स्वामी दिनेशानंद महाराज का शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।

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