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जलमग्न हुई कोटेश्वर महादेव गुफा, मसूरी में गिरा पुश्ता, थत्यूड़ बिजली घर में घुसा मलबा

15 जून से अब तक 39 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। इसके अलावा चार धाम यात्रा में अब तक 173 लोगों की मौत हो चुकी है।

देहरादून। उत्तराखंड में इन दिनों आसमान से आफत बरस रही है। जिसके कारण प्रदेश में आपदा जैसे हालात हैं। ये हालात ऐसे समय पर हैं जब राज्य में चारधाम और कांवड़ यात्रा चल रही है। जिसके कारण पुलिस प्रशासन की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। मौसम विभाग ने बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। जिसके चलते कई जिलों में स्कूलों की छुट्टी की गई है। शनिवार को टिहरी जिले से नुकसान की खबरें आई। यहां बालगंगा नदी विकराल हो कर आगे बढ़ रही है। इसके अलावा रुद्रप्रयाग जिले में भी बारिश, लैंडस्लाइड के कारण नुकसान की खबरें सामने आई हैं।अब तक बारिश के कारण 3 बॉर्डर और 2 नेशनल हाइवे के साथ ही 205 सड़के बंद हैं।
पूरे प्रदेश में इस वक्त 205 सड़के बंद हैं। जिसमें से लोक निर्माण विभाग की 130 सड़कें, राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और पीएमजीएसवाई की 73 सड़के मौजूद हैं। मानसून सीजन से हुए नुकसान की बात की जाये तो अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। 16 लोग घायल हो चुके हैं। संपत्तियों के नुकसान की बात की जाए तो अब तक कुल मिलाकर 648 घरों को नुकसान हुआ है। जिसमें से 10 घर पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं। सड़क दुर्घटनाओं में भी काफी नुकसान हुआ है। 15 जून से अब तक 39 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। इसके अलावा चार धाम यात्रा में अब तक 173 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारी बारिश के चलते टिहरी जनपद के जौनपुर विकास खण्ड मुख्यालय थत्यूड़ में 33 केवी विद्युत सब स्टेशन में चट्टानी मलवा आने से विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। जिससे जौनपुर के कई गांवों में विद्युत आपूर्ति ठप्प हो गई। मलबा सड़क पर आ जाने के कारण थत्यूड़ देहरादून चम्बा मसुरी मोटर मार्ग भी बन्द हो गया।
बारिश के कारण रुद्रप्रयाग में प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव की गुफा भी जलमग्न हो गई है। यहां स्वयं मां अलकनंदा भगवान कोटेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर रही है। दूर-दराज से भक्त कोटेश्वर भगवान की गुफा के दर्शन करने पहुंच रहे हैं, लेकिन गुफा के जलमग्न होने से भक्त गुफा में नहीं जा रहे हैं। मान्यता है कि गौत्र हत्या से मुक्ति को लेकर पांडव जब स्वर्गारोहिणी की ओर जा रहे थे, तो उन्होंने इस गुफा में कुछ समय तक विश्राम किया। साथ ही साथ भगवान शंकर की आराधना की, लेकिन भगवान ने उन्हें यहां भी दर्शन नहीं दिए।

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