उत्तराखंड

बीते 24 घंटे में उत्तराखण्ड में बारिश से मचा हाहाकार

चमोली जिले में हो रही बारिश के कारण अलकनंदा नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिस कारण ग्रामीण जनता की परेशानी भी अधिक बढ़ती जा रही हैं।

नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा
पांच गांवों को जोड़न वाला पैदल पुल नदी के बढ़ते जल स्तर में डूबा
कोटली, बांसी, मोलदा, सेरा गांव का सम्पर्क जनपद मुख्यालय से कटा
पानी कम होने का इंतजार कर रहे ग्रामीण
देहरादून। उत्तराखंड में बीते 24 घंटे से हो रही बारिश के कारण हाहाकार मचा हुआ है। गढ़वाल मंडल के कई जिलों में भारी बारिश के बाद आपदा जैसे हालत बने हुए है। बीते 24 घंटे के अंदर हुई भारी बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में हुआ है। वहीं देहरादून जिले के मसूरी में भी बारिश का कहर देखने को मिला है।
रुद्रप्रयाग जनपद के पांच गांवों को जोड़ने वाला पैदल पुल अलकनंदा नदी के बढ़ते जल स्तर में डूब गया है, जिस कारण ग्रामीण कल से अपने घरों में फंस गए हैं। ग्रामीणों का आवाजाही का एक मात्र साधन यही पुल है। छात्रा सुबह स्कूल नहीं जा पाए। ग्रामीण नदी किनारे पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल जनपद के कोटली, बांसी, मोलदा, सेरा आदि गांवों का संपर्क कट गया है।
चमोली जिले में हो रही मूसलाधार बारिश के कराण रुद्रप्रयाग जिले में भारी नुकसान हो रहा है। चमोली जिले में हो रही बारिश के कारण अलकनंदा नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिस कारण ग्रामीण जनता की परेशानी भी अधिक बढ़ती जा रही हैं।
अलकनंदा नदी का जल स्तर बढ़ने से भरदार पट्टी के कोटली, बांसी, मोलदा, सेरा सहित अन्य गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। उक्त गांव आज तक सड़क मार्ग से भी नहीं जुड़ पाए हैं और पैदल आवाजाही का एक मात्र पुल भी फिलहाल नदी में समा गया है।
ग्रामीण सुबह से ही नदी किनारे बैठकर पानी कम होने का इंतजार करते रहे, लेकिन दोपहर तक भी नदी का पानी कम नहीं हो पाया। पुल का नदी में डूबने का मुख्य कारण यही है कि यहां से कुछ दूरी पर श्रीनगर स्थित जीवीके कंपनी की झील है। झील का जल स्तर बढ़ने से यह पुल भी नदी में डूब गया। इस पुल के निकट ही ग्रामीणों का प्राचीन शिव मंदिर है। शिव मंदिर का आधा हिस्सा और मंदिर में जाने वाला पुल भी अलकनंदा नदी में डूब गया है। मल्यासू गांव के ग्रामीण रघुवीर सिंह ने बताया कि श्रीनगर जल बिजली परियोजना की झील से भरदार पट्टी के पांच गांव परेशानी झेल रहे हैं। पुल के डूबने से ग्रामीणों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

27 लोगों की जान ले चुका इस साल मॉनसून
देहरादून। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में इस साल मॉनसून सीजन में करीब 27 लोग की मौत हो हुई है। वहीं 16 लोग घायल हुए है, जबकि एक व्यक्ति लापता है। इसके साथ ही 48 बड़े और 141 छोटे जानवरों के साथ ही 560 मकान आधा, 64 मकान का अधिकांश हिस्सा और 8 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके है।

मसूरी में मालरोड पर पहाड़ी का हिस्सा टूट कर गिरा
देहरादून। शुक्रवार 26 जुलाई को मॉनसूनी बारिश का कहर पहाड़ों की रानी मसूरी में भी देखने को मिला। मसूरी में भारी बारिश के कारण मालरोड पर तिब्बती मार्केंट के सामने पहाड़ से बड़ा बोल्डर गिर गया, जिससे बिजली का फीडर पिलर को क्षतिग्रस्त हो गया।
गनीमत रही की सड़क किनारे कोई वाहन नहीं खड़ा था। वरना कोई बड़ा हादसा हो सकता था। बिजली का फीडर पिलर क्षतिग्रस्त होने से मालरोड और आसपास के क्षेत्र के विद्युत सेवा प्रभावित हो गई, जिसको करीब चार घंटे के बाद सुचारू किया गया।

मसूरी तिब्बती मार्केट के नीचे पुश्ता ढहा
देहरादून। तिब्बती मार्केट के नीचे एक पुश्ता ढहा गया, जिससे क्षेत्र को आने जाने वाला संपर्क मार्ग टूट गया। वहीं हैप्पी वैली में एक पेड़ के गिरने से बिजली का खंभा लटक गया, जिस कारण क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति बाधित हो गयी। मसूरी नगर पालिका परिषद मार्ग पर गेस्ट हाउस के ऊपर पेड़ गिर गया, जिससे गेस्ट हाउस को नुकसान पहुंचा है। गेस्ट हाउस के स्वामी विरेंद्र ने कहा कि उनके गेस्ट हाउस के पास तीन बड़े पेड है, जो कभी भी गिर सकते है, जिसको लेकर उनके द्वारा वन विभाग से पेड़ को काटकर हटाने की मांग की गई थी। परन्तु वन विभाग द्वारा अनुमति नहीं दी गई और कल रात की तेज बारिश में दो पेड़ गिर गए, जिसमें से एक पेड़ उनके गेस्ट हाउस की छत पर गिरा जिससे छत क्षतिग्रस्त हो गई। तिब्बती मार्केट के नीचे निवास कर रहे सुरेन्द्र सहदेव ने बताया कि भारी बारिश के चलते देर रात को पुश्ता गिर गया, जिससे आसपास के लोगों की आवाजाही बंद हो गई है। वह भूस्खलन की चपेट में निर्माणाधीन होटल का एक हिस्सा भी आ गया है। उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त पुश्ते का निर्माण शुरू कर दिया गया है।

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