उत्तराखंडदेहरादून

श्रद्धालुओं के लिए खुला दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब

इस बार श्रद्धालुओं को हेमकुंड साहिब जी की यात्रा के दौरान आस्था पथ से लेकर हेमकुंड साहिब तक कम ही बर्फ नजर आएगी।

जयकारों से भक्तिमय हुआ माहौल
हिमालय में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है गुरू गोंविद की तपस्थिली गुरूद्वारा
दर्शन के लिए अब तक 75 हजार श्रद्धालु करा चुके ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन

चमोली। उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित उच्च हिमालयी लोकपाल घाटी में मौजूद सिक्ख धर्म आस्था का पवित्र धाम हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के कपाट रविवार को खुल गए हैं। कपाट खुलने की सभी तैयारियां पूर्व में पूरी कर ली गई थी। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा को भव्यता के साथ तोरण पताकाओं, रंग बिरंगे गुब्बारों और पुष्प गुच्छों के साथ करीब 7 क्विंटल फूलों से सजाया गया। सप्तश्रृंगी चोटियों के मध्य दशम गुरु गोविंद सिंह जी की पवित्र तप स्थली धरती हेमकुंड साहिब जी का अमृत कुंड हिम सरोवर अभी भी बर्फ से जमा हुआ नजर आ रहा है।
गुरु धाम में मौसम भी गुरु कृपा से सुहावना नजर आ रहा है। 24 मई को पंच प्यारों की अगुवाई में यात्रा के अहम पड़ाव गोविंद घाट गुरुद्वारे से सीजन के पहले जत्थे को गुरु साहब के जयकारों और पंजाब से आए विशेष बैंड बाजे की धुनों के बीच हेमकुंड साहिब के लिए रवाना किया गया। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, यह पहला जत्था रात घांघरिया स्थित गुरुद्वारे में विश्राम करेगा। रविवार को यह समूह घांघरिया से हेमकुंड साहिब के अंतिम पड़ाव के लिए प्रस्थान किया। इस जत्थे के वहां पहुंचने के बाद ही पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हेमकुंड साहिब के कपाट सामान्य श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए आधिकारिक रूप से खोल दिए।
बता दें कि हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए अब तक तकरीबन 75 हजार श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा दिया है। ये सिलसिला ऑफलाइन भी जारी है। समुद्र तल से करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित हुकुम साहिब जी हेमकुंड साहिब धाम के कपाट खुलने से पहले 15 किलोमीटर के पैदल गुरु आस्था पथ समेत सभी तैयारियों पूरी कर ली गई थी। वहीं श्रद्धालुओं के लिए तमाम मूलभूत सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया है। गोविंद घाट गुरुद्वारे के समीप अलकनंदा नदी के ऊपर नया पुल बनने के बाद कुछ दूरी तक श्रद्धालुओं को पैदल चल कर छोटे वाहनों से पुलना गांव तक का सफर तय करना होगा। जिसके बाद श्रद्धालु आगे गुरु धाम के लिए पैदल यात्रा समेत एडीसी भ्यूंडार के माध्यम से उचित दरों पर डंडी कंडी, पालकी, घोड़ा खच्चर आदि बुक कर सकते हैं।
इस बार श्रद्धालुओं को हेमकुंड साहिब जी की यात्रा के दौरान आस्था पथ से लेकर हेमकुंड साहिब तक कम ही बर्फ नजर आएगी। पूरा पैदल मार्ग श्रद्धालुओं की सुगम आवाजाही के लिए तैयार कर दिया गया है। रास्ते में एडीसी के पर्यावरण मित्र तल्लीनता के साथ गुरु आस्था पथ की साफ सफाई में जुटे हुए नजर आ रहे हैं। वहीं अटला कोटी में 70 मीटर करीब ग्लेशियर पसरा हुआ है। जिसे काटकर सुगमता से आवाजाही वाला रास्ता बनाया गया है। फिलहाल श्रद्धालुओं को अटला कोटी ग्लेशियर प्वाइंट तक ही घोड़ा खच्चर की सुविधा मिलेगी। यहां से आगे सभी श्रद्धालुओं को पैदल सफर तय करना पड़ेगा। हालांकि डंडी कंडी वाले और कुछ घोड़ा खच्चर वाले ग्लेशियर के दूसरे छोर पर भी श्रद्धालुओं की सेवा के लिए खड़े नजर आ रहे हैं।
पालकी, डंडी कंडी से बुजुर्ग और दिव्यांग सहित छोटे बच्चों के लिए हेमकुंड साहिब तक यात्रा के लिए सुविधा मौजूद है। श्रद्धालुओं के लिए पवन हंस हेली सेवा भी गोविंद घाट हेलीपैड से कांजिला खर्क हेलीपैड घांघरिया तक के लिए इस बार भी संचलित हो रही है। जिसके लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग लगातार जारी है। यात्रा को देखते हुए हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने सभी व्यवस्थाओं को भी दुरुस्त कर लिया है।

मेडिकल टीम व एक्स्पर्ट डॉक्टर रास्ते में किए गए तैनात
देहरादून। गोविंद घाट गुरुद्वारे से लेकर हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा तक संगत के लिए लंगर से लेकर रहने खाने, स्वास्थ्य मेडिकल टीम, एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम फिजियोथेरेपी, जूस जलपान से लेकर हर तरह की सुविधाएं प्रदान की गई हैं। श्रद्धालु होटलों, लॉज और टेंट कॉलोनियों में भी रात्रि विश्राम कर सकते हैं। करीब 10 हजार श्रद्धालुओं के लिए घांघरिया में होटल, लॉज और कैंप के माध्यमों से ठहरने की व्यवस्था बनी हुई है। हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि पहले ही कपाट खुलने की सभी तैयारी पूरी हो चुकी ती। देश विदेश के श्रद्धालू सुगमता से हेमकुंड साहिब जी की यात्रा कर सके, इसको लेकर प्रदेश सरकार और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पूरी तरह सजग है।

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