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सैन्य धाम में शहीदों की मिट्टी में भी कमीशन का खेल

तत्कालीन वित्त निदेशक ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया और पूछा कि यह तकनीकी बिड खोली ही क्यों गई?

ठेकेदार, इंजीनियर व अफसरों की मिलीभगत
49 करोड़ का बजट हो गया 99 करोड पर अब तक नहीं बना पांचवां धाम
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सैन्य धाम के निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएं हुई हैं। इस कारण यह प्रोजेक्ट की लागत लगभग दोगुणा हो गयी है, तो सैन्य धाम तय समय पर भी नहीं हो पा रहा है।
आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने खुलासा किया है कि, सैन्य धाम में टेंडर से लेकर निर्माण कार्यों में करोड़ों का गोलमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट 49 करोड़ का था और अब यह 99 करोड़ तक पहुंच चुका है। एडवोकेट नेगी ने कहा कि ठेकेदार और अफसरों की मिलीभगत से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह मामला देश के लिए शहीद सैनिकों से जुड़ा है। ऐसे में सैन्य धाम की पवित्रता बनी रहनी चाहिए। उन्होंने इसकी शिकायत सीबीआई से की है।
देहरादून के पुरुकुल गांव में सैन्य धाम का निर्माण चल रहा है। सैन्य धाम के निर्माण के लिए अधिकांश धनराशि केंद्र सरकार ने दी है। यह प्रोजेक्ट 8 नवम्बर 2023 तक पूरा होना था, लेकिन पहले इसे इस वर्ष मार्च तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया और अब इस समय सीमा को बढ़ाकर अक्टूबर कर दिया गया है। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार आरटीआई से खुलासा हुआ है कि, उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं विकास निर्माण निगम ने इसका ग्लोबल टेंडर ही जारी नहीं किया। पोर्टल पर जारी यह टेंडर 48 करोड़ का था। इसमें दो कंपनियों मैसर्स शिवकुमार अग्रवाल और मैसर्स डभ्च्स् इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भाग लिया।
इस टेंडर को विभाग ने निरस्त कर दिया और दोबारा से निविदा आमंत्रित की गयी। तत्कालीन वित्त निदेशक ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया और पूछा कि यह तकनीकी बिड खोली ही क्यों गई?
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार निगम ने इतनी बड़ी धनराशि का टेंडर बिना प्रशासनिक अनुमति के जारी किया था। टेंडर के लिए जिन दो कंपनियों ने निविदाएं दीं, उसके स्टाम्प और नोटरी एक ही वेंडर से किये गये। दोबारा अल्पकालीन टेंडर जारी किया गया और इसके लिए दोबारा से उन्हीं दो कंपनियों ने आवेदन दिया।
इस बार यह ठेका मैसर्स शिव कुमार अग्रवाल को दे दिया गया। टेंडर की धनराशि अब 49 करोड कर दी गयी। विभाग ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए कंटीजेंसी का लगभग एक करोड़ 9 लाख रुपये भी छोड़ दिये। टेंडर ओवरप्राइस था और इसे ग्लोबल नहीं किया गया।
एडवोकेट नेगी के अनुसार त्ज्प् से मिली जानकारी के मुताबिक पेयजल निगम ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी विकासनगर यूनिट के प्रोजेक्ट मैनेजर रविंद्र कुमार को दी। जब रविंद्र का तबादला देहरादून हुआ तो वह अपने साथ जेई शीतल गुरुंग और एई संजय यादव को भी योजना के साथ ले आए। एडवोकेट नेगी के अनुसार सैन्य धाम की योजना बनाते समय इन इंजीनियरों और संबंधित अफसरों ने बेहद लापरवाही बरती कि 48 करोड़ का प्रोजेक्ट महज एक साल में बढ़कर 100 करोड़ हो गया। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि, सैन्य धाम में जो मटिरियल उपयोग किया जा रहा है उसकी क्वालिटी और दाम को लेकर भी घोटाला हुआ हैं।
एडवोकेट नेगी के मुताबिक ठेकेदार को निविदा शर्तों के विपरीत समय-समय पर अग्रिम भुगतान किया गया है। अब तक 35 करोड़ 94 लाख का भुगतान किया जा चुका है। यही नहीं ठेकेदार को बिना निविदा के ही लगभग सात करोड़ 75 लाख रुपये के अतिरिक्त कार्य भी आवंटित कर दिये गये। एडवोकेट नेगी के अनुसार निविदा के दौरान ठेकेदार की बिड कैपिसिटी को नापा जाता है। इस आधार पर ठेकदार शिवकुमार अग्रवाल की बिड कैपिसिटी लगभग 56 करोड़ है। लेकिन अब यह कार्य 100 करोड़ का हो चुका है। ऐसे में इस ठेकेदार से किस आधार पर सैन्य धाम का कार्य कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले की शिकायत सीबीआई को की है और इसके अलावा पीएमओ और सीवीसी को भी इस आशय में दस्तावेजों समेत पत्र प्रेषित किये हैं।

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