उत्तराखंड

भरत सिंह ने फिर दी बहादुरी की मिसाल, गुलदार के बाद भालू के भिड़े

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपनी जान बचाने को लेकर भाग रहे हैं और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि चौन की नींद सोए हुए हैं।

भालू को लात से मारकर बचाई अपनी जान
रुद्रप्रयाग। दो महिलाओं को गुलदार (तेंदुआ) से बचाकर बहादुरी के लिए राज्य पुरस्कार पाने वाले रुद्रप्रयाग के भरत सिंह चौधरी ने फिर से बहादुरी का बड़ा परिचय दिया। बुधवार सुबह कोट-मल्ला में पानी खोलने के बाद वापस घर को लौट रहे ग्रामीण भरत सिंह चौधरी पर भालू ने जानलेवा हमला कर दिया। भालू से जान बचाने को लेकर वे पेड़ पर चढ़ गए, जिसके बाद जब भालू भी पेड़ में चढ़ने लगा तो भरत ने भालू पर लात की मारी। लात मारने पर भालू ने उसके पैरों को नुकसान पहुंचा दिया और गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके बाद वे चिल्लाने लगे तो आस-पास के लोगों ने आकर जान को बचाया और अस्पताल पहुंचाया।
उत्तराखंड में जगह-जगह भालू का आतंक देखने को मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में सुबह और शाम के समय भालू घात लगाकर लोगों पर हमला करने में लगा है, जिस कारण ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। रुद्रप्रयाग के रानीगढ़ पट्टी के कोट-मल्ला में बुधवार सुबह साढ़े सात बजे पानी की लाइन खोलकर आ रहे फीटर भरत सिंह चौधरी पर भालू ने हमला कर दिया। अपनी जान बचाने को लेकर भरत पेड़ पर चढ़ गए। पेड़ में चढ़ने के बाद भालू भी पेड़ में चढ़ने लगा तो उन्होंने भालू पर लात की मारी। इस दौरान भालू ने उनके पैरों को मुंह में जकड़ लिया और गंभीर तरीके से पैरों को चोट पहुंचा दी। इसके बाद भरत जोर-जोर से चिल्लाने लगे तो आस-पास से ग्रामीण भी मौके पर पहुंचे और भालू भाग गया। उन्हें गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय लाया गया, जहां से उन्हें श्रीनगर के लिए रेफर किया गया।
ग्रामीण भरत सिंह चौधरी ने बताया कि ग्रामीण इलाकों के नजदीक भालू के आने से गांव के लोगों में दहशत बनी है। उन्होंने कहा कि विधायक रुद्रप्रयाग भरत चौधरी के गृह क्षेत्र रानीगढ़ पट्टी में ही गुलदार की दहशत से ग्रामीण भयक्रांत हैं। क्षेत्र में घटना होने के बाद विधायक पहुंच रहे हैं और कार्रवाई का भरोसा दे रहे हैं। बार-बार सिर्फ कार्रवाई का भरोसा ही मिल रहा है, जबकि भालू को पकड़ने को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपनी जान बचाने को लेकर भाग रहे हैं और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि चौन की नींद सोए हुए हैं। इस मामले में सरकार भी गंभीर नजर नहीं आ रही है, जबकि वन विभाग भी क्षेत्र में मात्र गश्त देने तक सीमित रह गया है।
रुद्रप्रयाग प्रभागीय वनाधिकारी रजत सुमन ने बताया ग्रामीण इलाकों में भालू के आतंक से ग्रामीणों को बचाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। रानीगढ़ पट्टी का भुनका, कोट-मल्ला सहित अन्य क्षेत्र भी संवेदनशाल हैं, जहां भालू की दहशत देखने को मिल रही है। उन्होंने बताया कि भालू के आतंक से निजात दिलाने को लेकर क्षेत्र में जगरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में सुबह और शाम के समय बाहर निकलना ठीक नहीं है। बताया कि भालू अपनी लोकेशन भी चौंज कर रहा है। नई जगहों पर जाकर भालू हमले कर रहा है। भालू का खानपान भी बदल रहा है। इस बार बारिश भी लंबे देर तक हुई तो मौसम में ठंडक भी देर से आई है। मौसम में आए परिवर्तन से जंगली जानवरों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। जिले में करीब 7 से 8 अति संवेदनशील क्षेत्र हैं, जिनमें 9 से 10 भालू सक्रिय होकर मानवों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

पिछले 5 से 10 सालों में जंगली जानवरों की घटनाओं में वृद्धि
पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र चौधरी ने मामले में चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि 90 के दशक से देखा जाए तो अब तक पिछले 5 से 10 सालों में भालू और गुलदार की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। वन विभाग भी कोई ठोस कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि बंदर, सुअरों के आतंक से ग्रामीण पहले ही परेशान थे, अब गुलदार और भालू के आतंक से भी ग्रामीण घरों के भीतर भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ। आशुतोष सयाना स्वयं एक्स-रे रूम और इमरजेंसी में पहुंचे और भरत का हालचाल जाना। उन्होंने चिकित्सकीय टीम को उचित और बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

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