तीन महिने पानी में डूबे रहने के बाद अलकनंदा नदी किनारे स्थित घाट अब डूबे मलबे में
ऐसे में अब इन घाटों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लग गये हैं। जहां तक घाटों की ऊंचाई है, वहां तक पानी का लेबल पहुंच चुका है।

मलबे के बीच घाटों का नहीं चल रहा कुछ पता
रुद्रप्रयाग। मानसूनी सीजन समाप्त होने के बाद अलकनंदा नदी का जल स्तर सामान्य हो गया है। नदी धीरे-धीरे अपने मूल बहाव क्षेत्र में बहने लगी है, लेकिन रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी किनारे स्थित घाट पूरी तरह से मलबे में दबे हुये हैं। इन घाटों में रेत भरी हुई है। घाटों का सिर्फ और सिर्फ ऊपरी हिस्सा दिखाई दे रहा है। फिलहाल घाटों की स्थिति बदहाल है। नदी में लगातार मलबा भरने के कारण इन घाटों के लेवल तक नदी बहने लग गई है। ऐसे में यह कहना मुश्किल होगा कि यह घाट आगामी समय में सुरक्षित बच पाएंगे।
पर्यटकों को लुभाने के लिये रुद्रप्रयाग जनपद में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी किनारे नमामि गंगे योजना के तहत करोड़ों की लागत से घाटों का निर्माण किया गया था। शुरूआत में यह घाट बेहद आकर्षित करते थे और चार धाम यात्रियों के अलावा स्थानीय लोग भी इन घाटों की ओर जाते थे। सांय के समय इन घाटों में खूब भीड़ रहती थी, लेकिन बरसाती सीजन की पहली ही बारिश में यह घाट जलमग्न हो गये। सात से आठ साल पूर्व बनाये गये यह घाट हर साल जुलाई से सितम्बर माह तक पानी में डूबे रहते हैं। तीन महीनों तक यहां कोई भी नहीं जाता है। घाटों की दुर्दशा पूर्व में ही हो चुकी थी, लेकिन इस वर्ष रुद्रप्रयाग में स्थित घाटों की स्थिति ओर भी बदहाल हो गई है। घाट पूरी तरह से मलबे में दबे हुये हैं। नदी का पानी कम होने के बाद घाट वाले स्थानों पर सिर्फ मलबा दिखाई दे रहा है। प्रत्येक वर्ष बरसती सीजन में अलकनंदा नदी में मलबा भर रहा है और लगातार नदी मूल स्थान से ऊपर बह रही है। ऐसे में अब इन घाटों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लग गये हैं। जहां तक घाटों की ऊंचाई है, वहां तक पानी का लेबल पहुंच चुका है। अब स्थानीय लोगों के अलावा चार धाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों ने भी इन घाटों की ओर जाना छोड़ दिया है। रुद्रप्रयाग नगर पालिका बेलनी वार्ड के सभासद सुरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि घाटों की समस्या बहुत बड़ी है। प्रत्येक वर्ष यह घाट पानी में डूब जाते हैं। इन दिनों घाटों में मलबा जमा हुआ है। इस समस्या से नगरपालिका और प्रशासन को अवगत कराया जायेगा।